क्या अजीत सिंह यादव ने मुश्किलों का सामना कर अंतर्राष्ट्रीय फलक पर चमकने की कहानी लिखी?

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क्या अजीत सिंह यादव ने मुश्किलों का सामना कर अंतर्राष्ट्रीय फलक पर चमकने की कहानी लिखी?

सारांश

अजीत सिंह यादव की प्रेरणादायक कहानी ने साबित किया है कि कठिनाइयों का सामना करके भी सफलता पाई जा सकती है। उन्होंने जैवलिन खेल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है। इस लेख में हम उनके संघर्ष और उपलब्धियों के बारे में जानेंगे।

Key Takeaways

  • कठिनाइयों का सामना करते हुए सफलता पाई जा सकती है।
  • दृढ़ संकल्प और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
  • अजीत सिंह यादव की कहानी प्रेरणादायक है।

नई दिल्ली, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कहा जाता है कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। कुछ ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है इटावा के निवासी अजीत सिंह यादव की, जिन्होंने अपनी अक्षमताओं को पार कर अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया है।

अजीत सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में 5 सितंबर 1993 को हुआ था। वर्ष 2017 में एक ट्रेन दुर्घटना में अपने मित्र अंशुमन सिंह की जान बचाने के प्रयास में अजीत ने अपना बायां हाथ खो दिया। बाएँ हाथ की कोहनी के नीचे का हिस्सा कट गया। इस घटना ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। ऐसे हादसे के बाद कई लोग निराश हो जाते हैं, लेकिन अजीत ने हार नहीं मानी। उनके नाम में ही जीत है और उन्होंने इसे साबित किया।

निराशा में बैठने के बजाय अजीत ने अपनी कमजोरी को शक्ति में बदला और जैवलिन खेल में अपनी प्रतिभा को विकसित किया। उनकी यात्रा आसान नहीं थी। लेकिन, दृढ़ संकल्प और कठोर मेहनत के बल पर उन्होंने जैवलिन में देश का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया। अजीत ने 2024 में पेरिस में आयोजित पैरालंपिक खेलों में एफ46 श्रेणी में जैवलिन थ्रो में 65.62 मीटर की दूरी के साथ रजत पदक जीता।

2022 में एशियन पैरा गेम्स में उन्होंने ब्रांज

खेल के साथ-साथ अजीत सिंह यादव ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है। उन्होंने लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान, एलएनआईपीई, ग्वालियर से शारीरिक शिक्षा और खेल में पीएचडी की है।

अजीत सिंह यादव को भारत सरकार ने 2025 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। उनकी कहानी युवाओं को यह सिखाती है कि जीवन की कठिनाइयों के बावजूद, दृढ़ इच्छाशक्ति और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

Point of View

लेकिन हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। अजीत के संघर्ष और सफलता से हम सभी को सीखने की ज़रूरत है कि सकारात्मक सोच और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
NationPress
04/09/2025

Frequently Asked Questions

अजीत सिंह यादव का जन्म कब हुआ?
अजीत सिंह यादव का जन्म 5 सितंबर 1993 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ था।
अजीत सिंह यादव ने किस खेल में रजत पदक जीता?
उन्होंने 2024 में पेरिस पैरालंपिक खेलों में जैवलिन थ्रो में एफ46 श्रेणी में रजत पदक जीता।
अजीत सिंह यादव को कौन सा पुरस्कार मिला?
उन्हें 2025 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।