क्या ट्रंप जी को इटावा की घटना के बारे में पता चल जाए तो क्या होगा? अखिलेश यादव का तंज

सारांश
Key Takeaways
- इटावा में कथावाचकों का अपमान हुआ।
- अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर तंज कसा।
- ट्रंप जी के संदर्भ में गंभीर सवाल उठाए गए।
- सामाजिक न्याय की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई।
- बिहार में भाजपा की हार की संभावना।
लखनऊ, 26 जून (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचकों के साथ हुई मारपीट की घटना अभी भी थमती नहीं दिख रही है। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का बयान आया है। उन्होंने योगी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि अगर ट्रंप जी को पता लग जाए कि इटावा में ऐसा हुआ है, तो सोचिए क्या हाल होगा।
अखिलेश यादव ने गुरुवार को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस घटना का जिक्र किया। उन्होंने सीएम योगी से सवाल करते हुए कहा, "मैं जानना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री अब तक क्या कर रहे थे? जब उन्हें जागना चाहिए था, तब वे सोते रहे। कथावाचकों का अपमान हुआ और उनकी चोटी काट दी गई। अगर ये सच है, तो हम किस बात के विश्व गुरु हैं? क्या आपको नहीं लगता कि दुनिया इस पर ध्यान दे रही है?"
उन्होंने आगे कहा, "अगर ट्रंप जी को पता लग जाए कि इटावा में ऐसा हुआ है, तो समझिए क्या होगा। मैं संविधान का सम्मान करता हूं। वे कहते हैं कि हम चार बजे जाग जाते हैं, लेकिन इटावा में रातभर कथावाचक अपमानित होते रहे। मैं सरकार से पूछता हूं कि ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं? पहले भी मुझे महोबा की घटना की जानकारी मिली थी, जिसमें एक शादीशुदा दलित परिवार को चप्पल नहीं उतारने पर अपमानित होना पड़ा।"
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, "समाज और संस्थाओं के कई सम्मानित सदस्यों ने महान विचार साझा किए हैं। आज छत्रपति शाहूजी महाराज की जयंती पर हम उनके, डॉ. बीआर अंबेडकर, डॉ. राममनोहर लोहिया और अन्य महान हस्तियों के दिखाए मार्ग को याद करते हैं। हम इस मार्ग पर चलते रहेंगे और सामाजिक न्याय की स्थिति स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे।"
अखिलेश यादव ने तेज प्रताप यादव के साथ हुई बातचीत का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया, "मेरा उनके साथ अच्छा संबंध है। मुझे नहीं पता था कि हम इतनी चर्चा करेंगे। उनका कॉल दो बार आया था, उसके बाद मैंने उनसे बात की और पूछा कि क्या वह चुनाव लड़ रहे हैं या नहीं? मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि बिहार में भाजपा बहुत बुरी तरह हार रही है। वहां के लोग समझ गए हैं कि जो फॉर्मूला महाराष्ट्र में अपनाया गया, बिहार के लोग उस पर अच्छे से विचार कर रहे हैं।"