क्या अलीगढ़ में कांवड़ यात्रा के लिए मूर्तियों की मांग बढ़ रही है?

सारांश
Key Takeaways
- अलीगढ़ में कांवड़ यात्रा के लिए मूर्तियों की मांग में वृद्धि।
- मुस्लिम कारीगरों द्वारा मूर्तियों का निर्माण।
- सांप्रदायिक एकता का उदाहरण।
- त्योहारों की तैयारी में समय प्रबंधन की आवश्यकता।
- भारत की धार्मिक विविधता का सम्मान।
अलीगढ़, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में सावन महीने और कांवड़ यात्रा की तैयारियों के चलते हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों की मांग में तेजी आई है। दिलचस्प बात यह है कि इन मूर्तियों को तैयार करने वाले मुस्लिम कारीगर हैं। अलीगढ़ की पहचान हमेशा से 'ताले और तालीम' के लिए रही है, लेकिन अब यह शहर मूर्तियों के निर्माण का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बनता जा रहा है।
स्थानीय मूर्ति व्यापारी राजा गुप्ता ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि उनका परिवार 1957 से पीतल की मूर्तियां बनाने का कार्य कर रहा है। वे न केवल मूर्तियों का निर्माण करते हैं, बल्कि इन्हें देश-विदेश में निर्यात भी करते हैं। सावन के महीने के आगमन के साथ भगवान शिव, शिवलिंग और शिव परिवार (शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय आदि) की मूर्तियों की मांग में भारी वृद्धि हुई है।
राजा गुप्ता के अनुसार, देशभर से मूर्तियों के ऑर्डर मिल रहे हैं और उनके पास काम करने वाले कारीगरों में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग शामिल हैं। खासकर, फिनिशिंग का कार्य मुस्लिम कारीगर कुशलता से करते हैं। उन्होंने कहा, "त्योहारों में यह सांप्रदायिक एकता और सहयोग का एक सुंदर उदाहरण है। हम इस सहयोग का पूरा सम्मान करते हैं।"
त्योहारों की तैयारी के सिलसिले में व्यापारी एक महीने पहले से मूर्तियों का निर्माण शुरू कर देते हैं ताकि समय पर डिलीवरी सुनिश्चित हो सके। कांवड़ यात्रा के दौरान भक्त इन शिवलिंगों और मूर्तियों का उपयोग पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में करते हैं।
हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां तैयार करने वाले एक मुस्लिम कारीगर ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "मैं 4-5 साल से मूर्ति बनाने का कार्य कर रहा हूं। यहां बाहर से मूर्तियां बनकर आती हैं। हम लोग उनकी फिनिशिंग और पैकिंग करते हैं। सावन के महीने में भोलेनाथ की मूर्तियों की डिमांड है।" उन्होंने कहा कि हम अच्छे से खुशी के साथ यहां काम करते हैं।