क्या राजस्थान के अलवर में 100 करोड़ से अधिक के साइबर धोखाधड़ी रैकेट का भंडाफोड़ हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- अलवर में 100 करोड़ की साइबर धोखाधड़ी का भंडाफोड़।
- मास्टरमाइंड संजय अरोड़ा समेत छह गिरफ्तार।
- म्यूल बैंक अकाउंट्स का उपयोग धोखाधड़ी में किया गया।
- पुलिस ने महत्वपूर्ण सबूत जब्त किए।
- साइबर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
जयपुर, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस) 'ऑपरेशन साइबर संग्राम' के तहत एक उल्लेखनीय सफलता प्राप्त करते हुए, राजस्थान के अलवर जिले में पुलिस ने 100 करोड़ रुपए से अधिक की ऑनलाइन धोखाधड़ी से जुड़े एक बड़े साइबर अपराध रैकेट का भंडाफोड़ किया है।
साइबर धोखाधड़ी के माध्यम से अर्जित धन को सफेद करने के लिए सैकड़ों म्यूल बैंक अकाउंट्स बनाने और बेचने में संलग्न होने के आरोप में मास्टरमाइंड संजय अरोड़ा सहित छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
अलवर के पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने कहा कि यह कार्रवाई साइबर अपराध की बढ़ती शिकायतों के बाद की गई है, जिसमें यौन शोषण, ऑनलाइन मार्केटप्लेस घोटाले और धोखाधड़ी वाले डिजिटल लेनदेन शामिल हैं।
विशेष टीम, जो वैशाली नगर पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी गुरुदत्त सैनी के नेतृत्व में काम कर रही थी, ने जांच की और नेटवर्क का पता लगाया।
अलवर साइक्लोन सेल द्वारा समर्थित जांच में यह पता चला कि लक्ष्मी एंटरप्राइजेज नामक एक काल्पनिक फर्म का उपयोग करके 41 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी लेनदेन के लिए एक संदिग्ध बैंक खाता खोला गया था, जिसमें 101 औपचारिक शिकायतों से जुड़े 2 करोड़ रुपए से अधिक थे।
पूछताछ में, आरोपियों ने फर्जी फर्म बनाने और उन नामों से चालू खाते खोलने की बात स्वीकारी, जिन्हें उन्होंने साइबर अपराधी गिरोहों को बेचा।
इन म्यूल अकाउंट्स का उपयोग अवैध धनराशि को तेजी से स्थानांतरित करने के लिए किया जाता था, ताकि खातों को चिह्नित या फ्रीज किए जाने से पहले ही धनराशि निकाली जा सके।
गिरफ्तार व्यक्तियों ने धोखेबाजों को बैंकिंग क्रेडेंशियल्स जैसे खाता संख्या, आईएफएससी कोड, इंटरनेट बैंकिंग विवरण और लिंक किए गए मोबाइल नंबरों तक पहुंच प्रदान की।
संचार और लेनदेन समन्वय व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से किया गया।
पुलिस ने म्यूल अकाउंट्स से संबंधित लेनदेन से जुड़े चेकबुक, एटीएम कार्ड, हस्ताक्षरित चेक, मोबाइल फ़ोन, सिम कार्ड और डिजिटल रिकॉर्ड सहित पर्याप्त सबूत जब्त किए हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुख्यालय, कांबले शरण गोपीनाथ के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है ताकि जांच को आगे बढ़ाया जा सके और रैकेट में शामिल अन्य गुर्गों और लाभार्थियों की पहचान की जा सके।