क्या अमेरिका ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया?
सारांश
Key Takeaways
- दीपू चंद्र दास की हत्या ने धार्मिक हिंसा की एक नई बहस को जन्म दिया है।
- अमेरिका ने बांग्लादेश की सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की है।
- बांग्लादेश में धार्मिक नफरत के खिलाफ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।
वॉशिंगटन, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश में हिंदू कपड़ा श्रमिक दीपू चंद्र दास की बर्बर हत्या को लेकर विश्वभर में निंदा की जा रही है। अमेरिकी विदेश विभाग ने इस हालिया धार्मिक हिंसा की कड़ी निंदा की है। एक प्रमुख अमेरिकी सीनेटर ने दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग को भयावह बताते हुए धार्मिक नफरत की बिना शर्त निंदा करने की अपील की।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों के सवाल पर अमेरिकी प्रवक्ता ने राष्ट्र प्रेस को बताया, "संयुक्त राज्य अमेरिका धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति, शांतिपूर्ण सभा और संगठन की स्वतंत्रता का समर्थन करता है।"
प्रवक्ता ने कहा, "संयुक्त राज्य अमेरिका धार्मिक हिंसा की कड़ी निंदा करता है। हम बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा सभी समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों का स्वागत करते हैं।"
अमेरिकी सीनेटरों ने भी इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। रो खन्ना ने इस हत्या को 'भयानक' करार देते हुए धार्मिक नफरत की कड़ी निंदा करने की अपील की।
रो खन्ना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर कहा, "बांग्लादेश में 27 वर्षीय हिंदू कपड़ा श्रमिक दीपू चंद्र दास की हत्या भयावह है और मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं दीपू के दोस्तों और परिवार के साथ हैं।"
उन्होंने कहा, "हमें नफरत और कट्टरता के इन घिनौने कृत्यों की कड़ी निंदा करनी चाहिए और उनके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।"
बांग्लादेश के भालुका के एक कपड़ा श्रमिक दीपू चंद्र दास की 18 दिसंबर को जान चली गई थी। ईशनिंदा के आरोप लगाकर भीड़ ने उस पर हमला किया, पीट-पीटकर मार डाला और उसकी लाश को जला दिया।
इस हत्या ने देश में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं की स्थिति पर जांच बढ़ा दी है। एडवोकेसी समूहों का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले बढ़े हैं। उन्होंने कई क्षेत्रों में भीड़ हिंसा, तोड़फोड़ और धमकी की घटनाओं का हवाला दिया है।
हालांकि विदेश विभाग ने राजनयिक मुलाकातों के बारे में विवरण नहीं दिया, लेकिन राष्ट्र प्रेस को दिए गए अपने जवाब में उसने धार्मिक हिंसा की निंदा पर जोर दिया। साथ ही सभी समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश के अंतरिम अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों का स्वागत किया।