क्या अमेरिकी टैरिफ का पीतल कारोबार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा? भारत में अवसर हैं

सारांश
Key Takeaways
- अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव सीमित है।
- घरेलू बाजार में अवसर हैं।
- टैरिफ को कम करने के लिए राहत पैकेज की आवश्यकता है।
- भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.8 प्रतिशत है।
- भारतीय पीतल उद्योग प्रतिस्पर्धी बना हुआ है।
जामनगर, 1 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी टैरिफ का भारत के पीतल कारोबार पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि घरेलू बाजार में पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं। यह जानकारी कारोबारी लोगों ने सोमवार को साझा की।
पीतल कारोबारी, लाखा भाई कैसवाला ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस को बताया कि अमेरिका का कुल पीतल निर्यात में हिस्सेदारी 8-9 प्रतिशत है। इस स्थिति में यूएस द्वारा टैरिफ लगाने से भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता पर असर पड़ेगा, लेकिन इसका पूरी पीतल इंडस्ट्री पर विशेष प्रभाव नहीं होगा।
उन्होंने आगे बताया कि हर फैक्ट्री में एक साथ पीतल के कई प्रोडक्ट्स का उत्पादन किया जाता है और कई देशों को निर्यात किया जाता है। इसलिए ऐसा माहौल नहीं है कि अमेरिकी टैरिफ से भारत की इंडस्ट्री को नुकसान होगा।
कैसवाला ने कहा कि टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार को कोरोना की तरह कोई राहत पैकेज प्रदान करना चाहिए। इसके साथ ही इंडस्ट्री के लोन पर ब्याज को कम करने के लिए कोई योजना लानी चाहिए।
एक अन्य कारोबारी प्रकाश कटारमल ने उल्लेख किया कि टैरिफ से पहले अमेरिका में भारत के पीतल पर 9 प्रतिशत तक की ड्यूटी लगती थी, लेकिन अब यह बढ़कर 59 प्रतिशत हो गई है। इससे देश की प्रतिस्पर्धा क्षमता पर भी असर होगा, क्योंकि वियतनाम और ताइवान जैसे देशों पर 18-25 प्रतिशत का टैरिफ लग रहा है। हमारी लागत इन देशों से कम है, लेकिन टैरिफ के कारण अमेरिका में हमारी चीजें महंगी हो गई हैं।
हालांकि, अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भी भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज बनी हुई है।
अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून अवधि) में 7.8 प्रतिशत रही है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 6.5 प्रतिशत थी।
एनएसओ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जून में देश की रियल जीडीपी 47.89 लाख करोड़ रुपए रही है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 44.42 लाख करोड़ रुपए थी।
समीक्षा अवधि में नॉमिनल जीडीपी करंट प्राइस में 86.05 लाख करोड़ रुपए रही है, जो वित्त वर्ष 25 की समान अवधि के आंकड़ों से 8.8 प्रतिशत अधिक है।