क्या सिडनी में गोलीबारी में मरने वालों की संख्या 16 हो गई है?
सारांश
Key Takeaways
- सिडनी में गोलीबारी में 16 लोग मारे गए।
- हमला एक पिता और बेटे द्वारा किया गया।
- घायलों की संख्या 40 से अधिक है।
- प्रधानमंत्री ने इसे नफरत का हमला बताया।
- यह घटना 1996 के बाद की सबसे घातक घटना मानी जा रही है।
सिडनी, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सिडनी के बॉन्डी बीच पर रविवार को हुई गोलीबारी में मरने वालों की संख्या 16 हो गई है। पुलिस के अनुसार, इस हमले को अंजाम देने वाले एक पिता और उसके बेटे थे। यह जानकारी सोमवार को पुलिस ने दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, न्यू साउथ वेल्स राज्य की पुलिस ने बताया कि गोलीबारी के बाद अब तक 16 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। पुलिस के बयान के अनुसार, 14 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि दो लोगों ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
मृतकों की उम्र 10 साल से लेकर 87 साल तक है। इनमें एक हमलावर भी शामिल है।
सोमवार सुबह तक करीब 40 घायल लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा था। इनमें से पांच की हालत बेहद गंभीर बताई गई है।
न्यू साउथ वेल्स पुलिस के आयुक्त मैल लैन्यन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि दोनों संदिग्ध हमलावरों में एक 50 साल का व्यक्ति और उसका 24 साल का बेटा था।
50 वर्षीय व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई थी। पुलिस के अनुसार, उसके पास वैध हथियार लाइसेंस था और उसके पास कानूनी रूप से छह बंदूकें थीं।
यह गोलीबारी रविवार शाम करीब 6 बजकर 47 मिनट पर हुई, जब कम से कम 1,000 लोग यहूदी त्योहार हनुक्का के पहले दिन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए समुद्र तट पर जमा हुए थे। तभी दोनों हमलावरों ने भीड़ पर गोलियां चला दीं।
पुलिस आयुक्त लैन्यन ने बताया कि रविवार रात इस घटना को आतंकवादी हमला घोषित किया गया था और इसके पीछे की मंशा को लेकर जांच अभी जारी है।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, "ऑस्ट्रेलिया नफरत और हिंसा के आधार पर बंटेगा नहीं। हम इसका डटकर सामना करेंगे और यहूदी समुदाय सहित पूरे देश के साथ एकजुटता दिखाएंगे।"
प्रधानमंत्री ने इससे पहले कहा था कि यह हमला पूरी तरह से बुराई का उदाहरण है और ऑस्ट्रेलिया यहूदी विरोधी सोच को खत्म करने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर समस्या है और हम मिलकर इसे समाप्त करेंगे।
यह घटना ऑस्ट्रेलिया में 1996 के बाद सबसे घातक सामूहिक गोलीबारी मानी जा रही है। उस साल तस्मानिया के पोर्ट आर्थर में हुई गोलीबारी में 35 लोगों की जान गई थी, जिसके बाद देश के हथियार कानूनों में बड़े बदलाव किए गए थे।