क्या सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में हाइब्रिड सुनवाई की सलाह दी है जब वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' है?

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क्या सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में हाइब्रिड सुनवाई की सलाह दी है जब वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' है?

सारांश

दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता के बिगड़ते हालात के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने हाइब्रिड सुनवाई का सुझाव दिया है। जानें इसकी वजह और कोर्ट की चिंताएं।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने हाइब्रिड सुनवाई की सलाह दी है।
  • दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर है।
  • वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग करने की सलाह दी गई है।
  • लंबी अवधि की रणनीति की आवश्यकता है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के विभिन्न कारणों की पहचान की है।

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश की राजधानी के बिगड़ते मौसम और वायु गुणवत्ता के संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट ने बार के सदस्यों और आम जनता को सलाह दी है कि वे शीर्ष अदालत के सामने लिस्टेड मामलों के लिए, जहां भी संभव हो, हाइब्रिड मोड में पेश हों।

सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा जारी एक सर्कुलर में यह उल्लेख किया गया है कि यह एडवाइजरी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सूर्यकांत के निर्देश पर जारी की गई है, जिसमें वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग करने की सलाह दी गई है।

यह सर्कुलर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन, सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन, सभी नोटिस बोर्ड और अन्य संबंधित संस्थाओं को व्यापक रूप से भेजा गया है।

इस महीने की शुरुआत में, सीजेआई सूर्यकांत के नेतृत्व वाली बेंच ने दिल्ली की वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी और स्पष्ट किया था कि वह "मूकदर्शक" नहीं रह सकती, जबकि राष्ट्रीय राजधानी के लाखों लोग प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं।

दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की सुनवाई करते हुए बेंच ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट को बार-बार हो रहे वायु संकट पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

इस बेंच में जस्टिस जॉयमाल्या बागची भी शामिल थे। सीजेआई सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने केवल पराली जलाने को अलग करके प्रदूषण के कारणों को सरल बनाने के खिलाफ चेतावनी दी थी और यह बताया था कि निर्माण गतिविधियों और वाहनों से निकलने वाले धुएं समेत कई कारण इस समस्या में योगदान करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, "हम पराली जलाने पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, क्योंकि उन पर बोझ डालना गलत होगा, जिनका अदालत में बहुत कम प्रतिनिधित्व होता है।"

पहले की सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने हर सर्दियों में शॉर्ट-टर्म प्रतिक्रियाओं के बजाय दिल्ली-एनसीआर में बार-बार होने वाले वायु प्रदूषण संकट से निपटने के लिए लॉन्ग-टर्म रणनीति की आवश्यकता पर जोर दिया था।

सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने केंद्र से कहा था, "आप सुझाव दे सकते हैं, लेकिन वे दो दिन, एक हफ्ते या तीन हफ्ते के लिए नहीं हो सकते। हमें एक लॉन्ग-टर्म समाधान की आवश्यकता है ताकि यह समस्या हर साल धीरे-धीरे कम हो सके।"

Point of View

तो यह आवश्यक है कि न्यायालय भी अपनी प्रक्रियाओं को अनुकूलित करे। हाइब्रिड सुनवाई से वकील और आम जनता दोनों को सुविधा मिलेगी। हमें इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
NationPress
14/12/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने हाइब्रिड सुनवाई का सुझाव क्यों दिया?
सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता में गिरावट और खराब मौसम को देखते हुए यह सुझाव दिया ताकि मामलों की सुनवाई में सुविधा हो सके।
हाइब्रिड सुनवाई का क्या लाभ है?
हाइब्रिड सुनवाई से वकील और आम लोग वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी अदालत में उपस्थित हो सकते हैं, जिससे समय और संसाधनों की बचत होती है।
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