क्या अमित शाह ने टिपरासा समझौते में देरी की बात स्वीकार की? : प्रद्योत किशोर देबबर्मा

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क्या अमित शाह ने टिपरासा समझौते में देरी की बात स्वीकार की? : प्रद्योत किशोर देबबर्मा

सारांश

टिपरा मोथा पार्टी के नेता प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने टिपरासा समझौते के कार्यान्वयन में देरी की बात स्वीकार की है। उन्होंने विश्वास दिलाया है कि इस मुद्दे को जल्द ही सुलझाने के लिए प्रयास किए जाएंगे। जानें इस महत्वपूर्ण बातचीत के बारे में और क्या कहना है देबबर्मा का।

Key Takeaways

  • अमित शाह ने टिपरासा समझौते में देरी की बात मानी।
  • प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने समुदाय के कल्याण पर जोर दिया।
  • हिंसा के मामलों को बातचीत से सुलझाने की आवश्यकता है।
  • भाषाई पूर्वाग्रह के खिलाफ एकजुट रहने की अपील।
  • गृह मंत्री ने शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया।

अगरतला, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। टिपरा मोथा पार्टी के नेता प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने सोमवार को कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने टिपरासा समझौते के कार्यान्वयन में देरी की बात मानी है और भरोसा दिलाया है कि इस मुद्दे को शीघ्र हल करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

अनुसूचित जनजाति मुद्दा रिपोर्ट पर केंद्रीय गृह मंत्री और भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के साथ अपनी बैठकों के बाद देबबर्मा ने अगरतला लौटकर पत्रकारों से बातचीत की।

मीडिया से बातचीत करते हुए देबबर्मा ने कहा, "गृह मंत्री अमित शाह के साथ सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत हुई। उन्होंने स्वीकार किया कि टिपरासा समझौते के कार्यान्वयन में देरी

देबबर्मा ने आगे कहा कि उनकी प्राथमिकता तिप्रासा समुदाय का कल्याण और त्रिपुरा एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र की व्यापक प्रगति है।

उन्होंने कहा, "मुझे सत्ता के लिए सत्ता में कोई दिलचस्पी नहीं है। सच्ची सत्ता तब मिलती है जब हमारे समुदाय को संवैधानिक अधिकार और सम्मान वापस मिले। अगर किए गए वादे पूरे नहीं होते हैं तो मेरे लिए अपने लोगों को कुछ भी दिए बिना जिम्मेदारी के पद पर बने रहना मुश्किल हो जाता है।"

दिल्ली पुलिस द्वारा बंगाली को "बांग्लादेशी भाषा" कहने पर चिंता व्यक्त करते हुए देबबर्मा ने इस टिप्पणी को अज्ञानतापूर्ण और नस्लवादी बताया।

उन्होंने कहा, "कोई भी सरकार भाषा के आधार पर किसी समुदाय को निशाना नहीं बनाती, लेकिन पूर्वाग्रही मानसिकता वाले कुछ लोग भावनाओं को भड़काने की कोशिश करते हैं। हमें ऐसे तत्वों को अपने समाज में जगह नहीं देनी चाहिए।"

उन्होंने नागरिकों से राजनीतिक और भाषाई सीमाओं से परे एकजुट रहने का आग्रह किया।

उन्होंने भाजपा और टिपरा मोथा समर्थकों के बीच हाल ही में हुई हिंसक झड़प की भी निंदा करते हुए कहा, "हिंसा कभी समाधान नहीं होती। मतभेदों को बातचीत और आपसी सम्मान के ज़रिए सुलझाया जाना चाहिए।"

उन्होंने त्रिपुरा के आदिवासी और गैर-आदिवासी दोनों नागरिकों से आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा के लिए अवैध घुसपैठियों, खासकर बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं के खिलाफ एकजुट होने का अनुरोध किया।

Point of View

यह स्पष्ट है कि राजनीतिक संवाद की आवश्यकता है। अमित शाह का यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि मुद्दे का समाधान समय की मांग है। तिप्रासा समुदाय के अधिकारों को समझना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारे देश के लिए आवश्यक है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

टिपरासा समझौते में देरी का कारण क्या है?
टिपरासा समझौते में देरी का कारण विभिन्न प्रशासनिक और राजनीतिक प्रक्रियाएं हो सकती हैं, जिनका समाधान करने के लिए गृह मंत्री ने कदम उठाने का आश्वासन दिया है।
प्रद्योत किशोर देबबर्मा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
प्रद्योत किशोर देबबर्मा का मुख्य उद्देश्य तिप्रासा समुदाय का कल्याण और त्रिपुरा एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्रगति है।
क्या हाल ही में हुई हिंसा पर कोई कार्रवाई की जाएगी?
हिंसा की घटनाओं की निंदा की गई है, और बातचीत एवं आपसी सम्मान के माध्यम से मतभेदों को सुलझाने का प्रयास किया जाएगा।