क्या अनिक्कट्टिलम्मा मंदिर में धनुष-बाण लिए भगवान शिव और तलवार लिए मां पार्वती की पूजा होती है?
सारांश
Key Takeaways
- अनिक्कट्टिलम्मा मंदिर भगवान शिव और मां पार्वती के उग्र रूप की पूजा के लिए प्रसिद्ध है।
- मंदिर की पोंगल पूजा महिलाओं द्वारा विशेष रूप से की जाती है।
- यह मंदिर लगभग 1600 वर्ष पुराना है।
- मंदिर की वास्तुकला बौद्ध शैली से प्रभावित है।
- यहां भक्त दूर-दूर से आते हैं।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश के विभिन्न राज्यों में भगवान शिव और मां पार्वती के संयुक्त मंदिरों की भरमार है, जहां उनके सौम्य अवतार को श्रद्धालु देख सकते हैं। लेकिन दक्षिण भारत के केरल राज्य में एक ऐसा अद्वितीय मंदिर है, जहां भगवान शिव और मां पार्वती को उग्र रूप में, अस्त्र-शस्त्र के साथ पूजा जाता है। यह है अनिक्कट्टिलम्मा मंदिर, जिसे अनिक्कट्टिलम्मक्षेत्रम के नाम से भी जाना जाता है।
यह मंदिर पथानामथिट्टा जिले के मालाप्पल्ली शहर के निकट स्थित है। यहाँ देशभर से भक्त आते हैं ताकि वे मां पार्वती और भगवान शिव के उग्र रूप का दर्शन कर सकें। इस मंदिर में आदिपराशक्ति मां पार्वती को शक्ति के रूप में पूजा जाता है, जबकि भगवान शिव शिकारी (किरात) के रूप में विराजमान हैं। भगवान शिव के हाथों में धनुष और बाण हैं, वहीं मां पार्वती के हाथ में तलवार है, जो उन्हें प्रकृति के रूप में दर्शाती है।
यह केरल का एक अनोखा मंदिर है, और भक्तों का मानना है कि मां पार्वती ने यह रूप अपने भक्तों की रक्षा के लिए धारण किया था। वे भक्तों की हर इच्छा को पूरा करती हैं।
मंदिर परिसर में शिव के भद्र और Nagaraja का भी मंदिर है। यह झोपड़ीनुमा मंदिर लाल रंग की टाइल्स से बना है, और इसकी वास्तुकला बौद्ध मंदिरों के समान है। मणिमाला नदी के किनारे स्थित यह मंदिर लगभग 1600 वर्षएडापल्ली राजवंश के आगमन के बाद हुआ था।
यहाँ मां पार्वती और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आठ दिन की पोंगल पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें भक्त उन्हें खीर का भोग लगाते हैं। यह त्योहार मलयालम महीने मकरम-कुंभम (फरवरी-मार्च) के दौरान मनाया जाता है, और इसे मुख्य रूप से महिलाओं का त्योहार माना जाता है।