क्या अनु अग्रवाल ने जीवन में नई सोच साझा की है, नकारात्मकता से दूर रहने का संदेश दिया?
सारांश
Key Takeaways
- नकारात्मकता से दूर रहना मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
- लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें और बेकार की बातों से बचें।
- योग और आध्यात्मिकता से जीवन में शांति मिलती है।
- बेफिक्र रहना अपने आप पर नियंत्रण रखना है।
- अनु का अनुभव प्रेरणादायक है।
मुंबई, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। 'आशिकी' फिल्म की प्रसिद्ध अभिनेत्री अनु अग्रवाल अपनी सादगी और स्पष्टता के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना किया है, लेकिन इन अनुभवों ने उन्हें आज काफी मजबूत बना दिया है।
अनु का कहना है कि वे अब बहुत ही सावधानी से जीवन जीती हैं और बेकार की बातों पर समय नहीं बर्बाद करतीं। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की, जिसमें उन्होंने लिखा, "मैंने अब बेकार की बातों पर ध्यान देना छोड़ दिया है, क्योंकि जलन से उत्पन्न उलझनों में कोई शक्ति नहीं होती। हर आलोचना पर रुकना आवश्यक नहीं है और शक में भटकने का कोई लाभ नहीं है।"
उन्होंने आगे कहा कि नकारात्मक चीजों से जितना दूर रहेंगे, जीवन उतना ही खूबसूरत और शांतिपूर्ण होगा। अनु ने लिखा, "जब आप नकारात्मक बातों पर बहस नहीं करते, तो वे अपने आप कमजोर हो जाती हैं। जब आप अपने काम और लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो सब कुछ स्पष्ट हो जाता है और आप अपनी चुनी हुई राह पर मजबूती से बढ़ते जाते हैं। यह सब मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है।"
अनु ने कहा, "बेफिक्र रहना मतलब भागना या हार मानना नहीं है, बल्कि इसका असली मतलब है खुद पर नियंत्रण रखना और अपनी इच्छानुसार काम करना।"
अभिनेत्री की यह पोस्ट उनके प्रशंसकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। अनु अब योग और आध्यात्मिकता से जुड़ी हैं और अक्सर सोशल मीडिया पर सकारात्मकता फैलाने का कार्य करती हैं, जो उनकी पोस्ट में भी स्पष्ट है।
उन्होंने हिंदी सिनेमा में कुछ समय तक काम किया और 'आशिकी', 'गजब तमाशा', 'खलनायिका', 'किंग अंकल', और 'कन्यादान' जैसी फिल्मों के माध्यम से काफी लोकप्रियता प्राप्त की। लेकिन, 1999 में एक सड़क दुर्घटना ने उनकी जिंदगी को बदल दिया। इस हादसे से उबरने में उन्हें काफी समय लगा, जिसके बाद उन्होंने योग और आध्यात्मिकता का रास्ता अपनाया।