क्या 'डीडीएलजे' में शाहरुख खान ने अनुपम खेर के साथ मिलकर डायलॉग रचा?

सारांश
Key Takeaways
- शाहरुख खान की इम्प्रोवाइजेशन ने डायलॉग को ख़ास बनाया।
- अनुपम खेर के लिए यह डायलॉग उनके पिता को समर्पित है।
- फिल्म 'डीडीएलजे' भारतीय सिनेमा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- कला में अनियोजितता और रचनात्मकता का महत्व है।
- फिल्म 'तन्वी द ग्रेट' महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे पर आधारित है।
मुंबई, 24 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। फिल्म निर्माता और अभिनेता अनुपम खेर ने साल 1995 की शानदार फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' से जुड़ा एक रोचक किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि प्रसिद्ध डायलॉग "ओ पोची, ओ कोका, ओ बॉबी, ओ लोला" को अभिनेता शाहरुख खान ने चुटकियों में तैयार किया था।
अनुपम खेर ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में कूल डैड के किरदार पर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा, "कूल डैड का किरदार निभाना मेरे पिता जी को सम्मान देने जैसा है। मेरे द्वारा निभाए गए हर एक 'कूल डैड' किरदार का संबंध मेरे पिता से है और वे उन सभी में फिट बैठते हैं।"
उन्होंने अपने पिता को अपना 'सबसे अच्छा दोस्त' बताया।
जब अनुपम से पूछा गया कि उनका प्रसिद्ध डायलॉग "ओ पोची, ओ कोका, ओ बॉबी, ओ लोला" कैसे बना, इस पर उन्होंने कहा, "तुरंत! फिल्म की शूटिंग के दौरान मैंने शाहरुख से कहा, चलो कुछ ऐसा करते हैं जिसे लोग याद रखें। खास बात यह है कि शाहरुख इम्प्रोवाइजेशन में माहिर हैं। वह हमेशा नए-नए आइडियाज आजमाने के लिए तैयार रहते हैं।"
अनुपम ने कहा कि उनकी यह लाइन हिट हो गई थी।
उन्होंने कहा, "यह लाइन एक तरह से कल्ट बन गई थी, यह मेरे लिए बहुत खास है। मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा कि कुछ चीजें आपके साथ ताउम्र रहती हैं और वह धीरे-धीरे आपके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाती हैं।"
साल 1995 में रिलीज हुई रोमांटिक-ड्रामा 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' के साथ आदित्य चोपड़ा ने निर्देशन में कदम रखा था। फिल्म में शाहरुख खान और काजोल मुख्य भूमिकाओं में थे।
काम के मोर्चे पर, अनुपम की हालिया फिल्म 'तन्वी द ग्रेट' है, जिसे उन्होंने निर्देशित भी किया है।
यह फिल्म 21 वर्षीय 'ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर' से जूझ रही लड़की तन्वी रैना पर आधारित है, जो अपनी मां विद्या और दादा कर्नल प्रताप रैना के साथ रहती है। कहानी में तन्वी की प्रेरणा उसके दिवंगत पिता, कैप्टन समर रैना होते हैं, जो भारतीय सेना के अफसर थे और सियाचिन ग्लेशियर पर तिरंगा फहराने का सपना देखते थे। तन्वी ठान लेती है कि वह अपने पिता के कदमों पर चलेगी और सेना में शामिल होकर उनके इस सपने को पूरा करेगी।
फिल्म में अनुपम खेर 'कर्नल प्रताप रैना' के किरदार में हैं।