क्या अरावली पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लोगों की उम्मीदों के अनुरूप है: अशोक गहलोत?
सारांश
Key Takeaways
- अरावली का संरक्षण हमारे भविष्य के लिए जरूरी है।
- सुप्रीम कोर्ट का फैसला जनता के हित में है।
- राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं।
- समाज के विभिन्न तबके इस फैसले से संतुष्ट हैं।
- अशोक गहलोत ने निर्णय का स्वागत किया।
जयपुर, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अरावली मामले पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने इसे जनता के हित में लिया गया निर्णय बताया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने सोमवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि अरावली पर सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय जनता से जुड़े मुद्दे को उजागर करता है। इसके कारण दिल्ली समेत अन्य राज्यों में लोगों में भारी आक्रोश उत्पन्न हुआ था, क्योंकि कोर्ट का निर्णय कई प्रतिक्रियाओं का कारण बना था।
उन्होंने बताया कि इस विषय पर पहले से एक सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी स्थापित थी। यह स्वतंत्र समिति सीधे सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करती थी। इसका नामांकन भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया गया था, लेकिन अब इसे समाप्त कर दिया गया है और एक नई समिति का गठन किया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस नवगठित समिति को भंग कर एक नई समिति का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे इस मुद्दे में किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं चाहते हैं। अरावली भविष्य की पीढ़ियों से जुड़ा मामला है। यदि अरावली नहीं रहेगी, तो देश की क्या स्थिति होगी? यह निश्चित रूप से चिंता का विषय है। वर्तमान में अरावली हमारे लिए एक बड़ा सुरक्षा कवच है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद, कुछ राजनीतिक दुर्भावना से ग्रसित लोग इसे समझने को तैयार नहीं हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि ये लोग अब राजनीतिक दुर्भावना से ग्रसित होकर हम पर बेबुनियादी आरोप लगा रहे हैं, जिसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद अब आरोप लगाने वाले भी बेनकाब हो चुके हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि यह खारिज नहीं किया जा सकता कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद समाज के विभिन्न तबके खुश हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि यह निर्णय आम लोगों की उम्मीदों के अनुरूप आया है, जिसकी प्रशंसा चारों ओर की जा रही है।