क्या जब मैंने कारमेन मिरांडा की तरह गाना शुरू किया, तो लोगों को मेरी गायकी पसंद आने लगी?

सारांश
Key Takeaways
- संगीत में मेहनत और अभ्यास जरूरी है।
- कारमेन मिरांडा की नकल से नई शैली विकसित की जा सकती है।
- बहुमुखी प्रतिभा को अपनाना जरूरी है।
- बचपन के अनुभव से सीखना महत्वपूर्ण है।
- संगीत की दुनिया में पहचान बनाने के लिए मेहनत जरूरी है।
मुंबई, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत की प्रसिद्ध और अनुभवी गायिका आशा भोसले ने हाल ही में अपने बचपन के अनुभव साझा किए हैं, जिसमें उन्होंने संगीत और फिल्मों के प्रति अपनी गहरी रुचि का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार उन्होंने अपने बचपन में घर पर गाने वाले कलाकारों की नकल करके अपनी विशेष शैली विकसित की। यह अनुभव उनके पूरे करियर में बेहद सहायक साबित हुआ।
आशा भोसले ने कहा, "मुझे बचपन से ही फिल्में देखना और गाने सुनना बहुत पसंद था। मैं उन गायकों की आवाज़ की नकल करने की कोशिश करती थी, जिन्हें मैं फिल्मों में सुनती थी। यह मेरी रोज़मर्रा की आदत बन गई थी। मेरे परिवार में भी गाने की नकल करना आम था, लेकिन मेरे लिए यह एक प्रकार का अभ्यास बन गया।"
ब्राज़ील की प्रसिद्ध गायिका कारमेन मिरांडा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, "वह अजीबोगरीब कपड़े पहनती थीं और उनकी टोपी पर फल लगे होते थे। मेरे परिवार का संगीत शास्त्रीय था, लेकिन जब मैंने उनके गाने गाए और उनकी नकल की, तो मेरी माँ को लगा कि मैं किसी भूत की नकल कर रही हूं।"
आशा ने एक विशेष गाने का उल्लेख किया, जिसे वह अक्सर गाती थीं। उन्होंने कहा, "जब लोग मेरे गायन को पसंद नहीं करते थे, तब मैंने सोचा कि क्यों न मैं कारमेन मिरांडा की तरह गाने की कोशिश करूं। मैंने गाने के अंदाज और आवाज़ में बदलाव किया, और इस बार लोगों को मेरी गायकी का जादू पसंद आने लगा।"
हालांकि, उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि उन्होंने अपनी अनोखी शैली कारमेन मिरांडा की नकल से सीखी थी।
आशा ने आगे बताया कि उन्होंने अपने गाने और आवाज़ को हर बार नए अंदाज में पेश किया। कभी-कभी उन्होंने कव्वाली भी गाई और विभिन्न गानों में अपनी आवाज़ को ढाला। उनकी यह बहुमुखी प्रतिभा उन्हें भारतीय सिनेमा की सबसे प्रमुख गायिकाओं में से एक बनाती है।
यह ध्यान देने योग्य है कि आशा भोसले का करियर आठ दशक से भी अधिक का है। इस दौरान उन्होंने हिंदी फिल्मों के साथ-साथ कई भारतीय भाषाओं में भी गाने गाए हैं। उनकी आवाज़ ने लाखों दिलों को छू लिया है। उन्हें दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित कई बड़े सम्मान भी प्राप्त हुए हैं।
इस साल 8 सितंबर 2025 को आशा भोसले 92 वर्ष की हो जाएंगी। उनकी यह यात्रा संगीत की दुनिया में एक मिशाल है, जो नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके बचपन के अनुभव यह दर्शाते हैं कि मेहनत, अभ्यास और नए अंदाज अपनाकर कोई भी कलाकार अपनी अलग पहचान बना सकता है।
--आईएएनस
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