क्या अदाणी ग्रुप के अशोक परमार ने असाधारण दृढ़ता से गोल्ड मेडल जीतकर सबको प्रेरित किया?

सारांश
Key Takeaways
- असाधारण दृढ़ता से सफलता संभव है।
- दिव्यांगों के लिए समान अवसर।
- कड़ी मेहनत से हर बाधा पार की जा सकती है।
- अदाणी समूह की प्रेरणादायक कार्य संस्कृति।
- समावेशिता का महत्व।
नई दिल्ली, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात राज्य बेंच प्रेस और डेडलिफ्ट चैंपियनशिप में अदाणी समूह के अशोक परमार ने अपनी असाधारण दृढ़ता और कौशल का प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता। परमार ने दिव्यांग होते हुए भी, सामान्य श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करके इस सफलता को हासिल किया, जो उनकी प्रेरणादायक यात्रा का प्रतीक है।
पॉवरलिफ्टिंग स्पोर्ट्स एसोसिएशन गुजरात द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में जूनियर, सीनियर और मास्टर्स स्तर पर पुरुष और महिला श्रेणियां शामिल थीं।
अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने एक्स पोस्ट के जरिए कहा, "अशोक परमार को किसी अलग श्रेणी की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने हर प्रतियोगी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होकर गोल्ड मेडल जीता। हां, अशोक एक दिव्यांग हैं, लेकिन हम अपवाद नहीं मांगते, हम संभव को फिर से परिभाषित करते हैं।"
इसके बाद गौतम अदाणी ने 'हम करके दिखाते हैं' हैशटैग भी दिया। यह अदाणी समूह की उस विचारधारा को दर्शाता है, जहां चुनौतियों को अवसर में बदलने पर जोर दिया जाता है।
इस पोस्ट के साथ, गौतम अदाणी ने एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें अशोक के दृढ़ संकल्प की झलक दिखाई गई, जिसने उन्हें प्रतियोगिता में टॉप अवार्ड दिलाया।
बता दें, 29 जून को अशोक ने जबरदस्त प्रदर्शन किया, जो आमतौर पर कल्पना नहीं की जा सकती थी। उन्होंने गुजरात राज्य बेंच प्रेस एवं डेडलिफ्ट चैम्पियनशिप में सामान्य वर्ग में प्रतिस्पर्धा करते हुए गोल्ड मेडल जीता।
अशोक अदाणी ग्रुप के एक कर्मचारी हैं। उन्होंने इस प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतने के लिए जिम में कड़ी मेहनत की। यह प्रतियोगिता गुजरात राज्य सब-जूनियर, जूनियर, सीनियर एवं मास्टर्स पुरुष एवं महिला क्लासिक बेंचप्रेस एवं डेडलिफ्ट चैम्पियनशिप के तहत आयोजित की गई।
अशोक की सफलता न केवल व्यक्तिगत स्तर पर प्रेरणादायक है, बल्कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत के साथ किसी भी बाधा को पार करने की क्षमता को भी दिखाती है। यह अदाणी समूह की समावेशी और प्रेरणादायक कार्य संस्कृति को भी दर्शाता है।