क्या असम के मुख्यमंत्री का बयान सही है कि भारत में 85 फीसदी हिंदू नहीं रह सकते थे?
सारांश
Key Takeaways
- हन्नान मोल्लाह ने असम के मुख्यमंत्री के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
- यह बयान फासीवाद का संकेत है।
- भारत में लिंचिंग की घटनाएं बढ़ रही हैं।
- सभी समुदायों के बीच संवाद की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सीपीआई (एम) के नेता हन्नान मोल्लाह ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के उस बयान पर कड़ा विरोध जताया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि असम में मुसलमानों की संख्या अत्यधिक बढ़ रही है, जिससे असम बांग्लादेश का रूप ले लेगा।
मोल्लाह ने कहा कि यह बेतुका बयान है, पूरी तरह से बेतुका। यदि ऐसा होता, तो भारत में 85 फीसदी हिंदू नहीं रह सकते थे।
नई दिल्ली में राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह संघ के लिए एक बहाना है। फासीवाद के मुख्य सिद्धांतों में से एक है लोकतंत्र को समाप्त करना और संविधान को कमजोर करना। दूसरा, यह विशेष समुदायों को निशाना बनाकर नफरत फैलाना और दूसरों को भड़काना है। तीसरा, यह झूठ फैलाना है। आप जितने आत्मविश्वास से झूठ को दोहराएंगे, उतने ही अधिक लोग उस पर विश्वास करेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत में पहले ऐसी लिंचिंग की घटनाएं नहीं देखी गई थीं। पहली घटना बजरंग दल जैसे समूहों द्वारा की गई थी, जिनका संघ से संबंध था। भारत में मुसलमानों और दलितों को बार-बार लिंच किया गया है। ऐसी 400 से अधिक घटनाएं हुई हैं, और यह सिलसिला जारी है। इसके खिलाफ आवाजें उठने और सुप्रीम कोर्ट के कार्रवाई के निर्देश के बावजूद, कई राज्यों में सत्ताधारी पार्टी होने के नाते भाजपा चुप रहती है या इन हरकतों का समर्थन करती रहती है।
मोल्लाह ने कहा कि जिस तरह से बंगाल में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है, यह फासीवाद का काम करने का तरीका है। एक फासीवादी विचारधारा का मुख्य उद्देश्य यही होता है। यह लोकतांत्रिक तरीके से आगे नहीं बढ़ सकती। पहले यह विशेष समुदाय को निशाना बनाती है। फिर यह समाज में नफरत फैलाती है और उस समुदाय के खिलाफ लोगों को भड़काकर अपना संगठन बनाती है। पाकिस्तान में जमात-ए-इस्लामी एक दक्षिणपंथी समूह है, जो भारत में संघ जैसा है। संघ भी यही करता है। सुवेंदु अधिकारी अच्छी तरह जानते हैं कि उनका चरित्र कैसा है, वे दिन-रात बंगाल में मुसलमानों के खिलाफ प्रचार करते हैं।
पाकिस्तानी अधिकारियों के नूर खान एयरबेस पर हमले से संबंधित बयान पर मोल्लाह ने कहा कि यदि कोई अधिकारी खुलकर बोलता है, तो उसमें कुछ सच्चाई हो सकती है। सवाल यह है कि क्या भारत और पाकिस्तान के बीच हमले लगातार जारी रहेंगे। ऐसा लगता है कि दोनों देश एक-दूसरे पर मौखिक हमले जारी रखने के लिए निर्भर हैं। जब भी पाकिस्तान कोई रुख अपनाता है, तो भारत को जवाब देने का मौका मिल जाता है, और इसका उल्टा भी होता है। यह एक लगातार पैटर्न बन गया है। पड़ोस में सद्भाव होना चाहिए। लेकिन सभी अपनी राजनीति के अनुसार कार्य करते हैं।