क्या अट्टुकल भगवती मंदिर में एक दिन के लिए पुरुषों का प्रवेश बैन है?

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क्या अट्टुकल भगवती मंदिर में एक दिन के लिए पुरुषों का प्रवेश बैन है?

सारांश

अट्टुकल भगवती मंदिर, जहां मां भद्रकाली की पूजा की जाती है। इस मंदिर में एक खास दिन पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। जानिए इस मंदिर की अनोखी परंपरा और पोंगाला उत्सव की खासियत।

Key Takeaways

  • अट्टुकल भगवती मंदिर का महत्व और आस्था
  • महिलाओं की पूजा का विशेष दिन
  • पोंगाला उत्सव की खासियत
  • पौराणिक कथा और मंदिर का इतिहास
  • मंदिर की अद्भुत वास्तुकला

नई दिल्ली, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में अनेक मंदिर अपनी दिव्यता और पवित्रता के लिए जाने जाते हैं। कई ऐसे मंदिर हैं जहाँ स्थानीय उत्सवों को इतने भव्य तरीके से मनाया जाता है कि वे इन मंदिरों की पहचान का एक प्रमुख हिस्सा बन जाते हैं। वहीं, कुछ मंदिर ऐसे हैं जहाँ इन सब चीजों का एक साथ समागम देखने को मिलता है।

तिरुवनंतपुरम का अट्टुकल भगवती मंदिर ऐसा ही एक दिव्य स्थल है, जहाँ मां भगवती, देवी भद्रकाली के रूप में गर्भगृह में विराजमान हैं और भक्तों को समृद्धि और मोक्ष का आशीर्वाद देती हैं।

यह मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम शहर में स्थित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि एक दिन ऐसा होता है जब मंदिर में पुरुषों के प्रवेश पर पाबंदी होती है। 'अट्टुकल पोंगाला' उत्सव के दिन केवल महिलाएं ही मंदिर में आ सकती हैं। अन्य दिनों में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए प्रवेश खुला रहता है। 'अट्टुकल पोंगाला' महोत्सव 10 दिनों तक चलता है और इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं इसमें भाग लेती हैं।

मंदिर में स्थापित मां भद्रकाली को समृद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में मां के सामने मांगी गई हर इच्छा पूरी होती है। इच्छाएं पूरी होने पर भक्त मां भद्रकाली के लिए विशेष अनुष्ठान भी करते हैं। पोंगाला उत्सव के दौरान भी महिलाएं मां भद्रकाली के लिए विशेष अनुष्ठान करती हैं।

मंदिर की वास्तुकला तमिल संस्कृति का अद्भुत मिश्रण है, जो पारंपरिक तमिल और केरल वास्तुकला शैलियों को प्रदर्शित करती है। मंदिर की स्तंभों पर देवी काली, श्री पार्वती, भगवान शिव और भगवान विष्णु के दस अवतारों की सुंदर नक्काशी है, जो मंदिर की सुंदरता को और बढ़ाती हैं।

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक शाम एक व्यक्ति नदी पार कर रहा था, तभी एक छोटी कन्या उसे नदी पार कराने के लिए कहती है। व्यक्ति कन्या के चेहरे की चमक से प्रभावित होकर उसे अपने घर आने का निमंत्रण देता है। जब वह कन्या अपने घर आने की तैयारी करता है, तो वह अचानक गायब हो जाती है और सपने में उसे बताती है कि तीन रेखाओं वाले स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया जाए। अगले दिन, व्यक्ति को बताई गई जगह पर तीन निशान मिलते हैं। जैसे ही यह बात गांव में फैलती है, सभी लोग मिलकर मां के मंदिर का निर्माण करते हैं। मंदिर में चार भुजा वाली मां भद्रकाली की प्रतिमा स्थापित की गई है।

Point of View

बल्कि यह महिलाओं के सामूहिक उत्सव का प्रतीक भी है।
NationPress
27/11/2025

Frequently Asked Questions

अट्टुकल भगवती मंदिर कहाँ स्थित है?
यह मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम शहर में स्थित है।
'अट्टुकल पोंगाला' उत्सव कब मनाया जाता है?
'अट्टुकल पोंगाला' उत्सव हर साल 10 दिनों तक चलता है।
इस मंदिर में पुरुषों का प्रवेश कब वर्जित है?
एक विशेष दिन, 'अट्टुकल पोंगाला' उत्सव के दिन पुरुषों का मंदिर में प्रवेश वर्जित है।
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