क्या औरंगाबाद का नाम बदलना भारत के गौरव को सम्मान देने वाला कदम है?
सारांश
Key Takeaways
- औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर किया गया।
- यह कदम भारत के गौरवमयी इतिहास को सम्मान देता है।
- अन्य स्थानों के नाम भी बदले जाने की आवश्यकता है।
- खण्डेलवाल ने पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का प्रस्ताव दिया।
- संसद द्वारा पारित कानून का पालन हर नागरिक का कर्तव्य है।
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर करने के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह भारत के गौरवमयी इतिहास और देशभक्त योद्धाओं को सही सम्मान देने वाला कदम है।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, “देश छत्रपति संभाजी राव के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता है। औरंगाबाद का नाम कभी भी वास्तविक नहीं था, यह मुगल आक्रांताओं द्वारा थोपा गया था। दुर्भाग्यवश, पिछली सरकारों ने भी इसी मानसिकता को आगे बढ़ाया।”
खंडेलवाल ने कहा कि इस निर्णय से न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश की जनता खुश है। औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने से उन लोगों को सम्मान मिला है जिन्होंने भारत के गौरव और स्वाभिमान के लिए संघर्ष किया। ऐसे और भी स्थानों के नाम बदले जाने चाहिए जो विदेशी मानसिकता को दर्शाते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर ‘इंद्रप्रस्थ’ करने का प्रस्ताव दिया है, क्योंकि दिल्ली का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नाम वास्तव में इंद्रप्रस्थ रहा है।
सांसद खंडेलवाल ने राजद नेता तेजस्वी यादव के वक्फ कानून पर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि या तो तेजस्वी यादव को कानून की जानकारी नहीं है या वे खुद को जरूरत से ज्यादा समझदार समझते हैं।
उन्होंने कहा, “भारतीय संसद द्वारा पारित कोई भी कानून देश का कानून होता है और उसका पालन करना हर नागरिक का कर्तव्य है। वक्फ कानून संसद द्वारा पूरी संवैधानिक प्रक्रिया के तहत पारित किया गया है, और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह देश का कानून बन चुका है।”
खंडेलवाल ने तीखे शब्दों में कहा, “तेजस्वी यादव किसे बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं? क्या उनके पास संसद से पारित कानून को मानने से इनकार करने की शक्ति है? ऐसे लोगों के खिलाफ कानून अपना काम करेगा।”