क्या औरंगाबाद इंडस्ट्रियल सिटी में 20,000 वर्ग फुट का कौशल विकास केंद्र स्थापित होगा?

सारांश
Key Takeaways
- कौशल विकास केंद्र का निर्माण 20,000 वर्ग फुट में होगा।
- समझौता ज्ञापन पर अगले सप्ताह हस्ताक्षर की उम्मीद है।
- स्थानीय युवाओं को कौशल प्रदान करने का लक्ष्य है।
- औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार और उद्यमियों का सहयोग आवश्यक है।
- औद्योगिक बुनियादी ढांचे में सुधार होगा।
नई दिल्ली, 13 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से औरंगाबाद इंडस्ट्रियल सिटी (एयूआरआईसी) में 20,000 वर्ग फुट में एक कौशल विकास केंद्र की स्थापना का निर्णय लिया गया है। इसके लिए अगले सप्ताह एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर की उम्मीद है, जैसा कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने रविवार को बताया।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने 12 जुलाई 2025 को छत्रपति संभाजी नगर का दौरा करते समय इस क्षेत्र में औद्योगिक ढांचे और स्टार्टअप विकास की समीक्षा के दौरान कौशल विकास केंद्र की स्थापना का समर्थन किया।
सचिव ने वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) में निवेश को आकर्षित करने और क्षेत्र के नवाचार एवं औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) केंद्रों के विकास पर जोर दिया।
पक्षकारों ने समावेशी आवासीय विकास के लिए एक व्यापक पैकेज की पेशकश करने हेतु राज्य आवास नीतियों का पीएमएवाई 2.0 सब्सिडी के साथ संयोजन करने की बात भी की, जिससे औद्योगिक टाउनशिप के विकास को बेहतर तरीके से सहारा मिल सके।
मंत्रालय के बयान में यह भी कहा गया कि इस यात्रा में एयूआरआईसी हॉल में एक उद्योग संपर्क सत्र आयोजित किया गया था, जिसमें एमएएसआईए, सीएमआईए, सीआईआई, फिक्की और एसोचैम जैसे प्रमुख उद्योग निकायों की भागीदारी देखी गई।
चर्चा के दौरान, पक्षकारों ने औरंगाबाद-हैदराबाद-चेन्नई के बीच बेहतर कनेक्टिविटी, एमआरओ सुविधाओं का विकास, वंदे भारत टर्मिनल, बिडकिन में बेहतर लॉजिस्टिक पहुंच, जालना और वालुज के बीच स्थानीय ट्रेन सेवाओं के विकास की सिफारिश की। इसके अतिरिक्त, एमएसएमई के लिए भूमि आरक्षण को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने, स्टार्टअप्स के लिए 10 प्रतिशत भूमि आरक्षित करने और (एयूआरआईसी) में सॉफ्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और कौशल विकास को मजबूत करने का सुझाव भी दिया गया।
महाराष्ट्र सरकार के उद्योग विभाग के सचिव डॉ. पी. अनबालागन ने भी एमआईटीएल और एमएमएलपी जैसी पहलों के माध्यम से औद्योगिक विकास के लिए राज्य का रणनीतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
डीपीआईआईटी सचिव भाटिया ने कहा कि महाराष्ट्र को विनिर्माण और नवाचार का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए सरकार और उद्योग के बीच सहयोग आवश्यक है। इस सत्र में उद्योग संघों और महाराष्ट्र सरकार की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जिससे क्षेत्र में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए उनकी साझा प्रतिबद्धता मजबूत हुई।