क्या कृष्ण मोहन बने राम मंदिर के नए ट्रस्टी?

सारांश
Key Takeaways
- कृष्ण मोहन को नए ट्रस्टी के रूप में नियुक्त किया गया।
- कामेश्वर चौपाल का योगदान अविस्मरणीय है।
- राम मंदिर का विकास धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
- सुरक्षा के लिए नई घेराव दीवार बनाई जा रही है।
- अंतरराष्ट्रीय श्रीराम कथा संग्रहालय का निर्माण जारी है।
अयोध्या, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने एक नया ट्रस्टी नियुक्त किया है। स्व. कामेश्वर चौपाल के निधन से खाली हुई जगह पर हरदोई के कृष्ण मोहन को ट्रस्टी बनाया गया है। कृष्ण मोहन, जिन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है, एटॉमिक एनर्जी क्षेत्र में वर्षों तक काम किया है और भारतीय वन सेवा (महाराष्ट्र कैडर) से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं।
वर्तमान में, वे हरदोई में रहकर सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं। हाल ही में, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी और राम मंदिर के लिए पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल का निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली स्थित गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली। कामेश्वर चौपाल, जो पिछले एक वर्ष से बीमार थे, ने 9 नवंबर, 1989 को अयोध्या में राम मंदिर की पहली शिला रखी थी। उन्हें संघ द्वारा प्रथम कारसेवक का दर्जा दिया गया था और उन्होंने 'रोटी के साथ राम' का नारा दिया।
मंगलवार को अयोध्या में तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक के बाद, महामंत्री चंपत राय ने पत्रकारों को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बैठक में नौ ट्रस्टी उपस्थित रहे, तीन ने ऑनलाइन भाग लिया और एक ट्रस्टी पहले ही अपनी असमर्थता जता चुके थे। नए ट्रस्टी के शामिल होने से ट्रस्ट की कार्यक्षमता और मजबूती में वृद्धि होगी। महामंत्री ने बताया कि ट्रस्ट अब अंतरराष्ट्रीय श्रीराम कथा संग्रहालय को वास्तविक वैश्विक स्वरूप देने की दिशा में काम कर रहा है। इस संग्रहालय में विश्वभर से सभी प्रचलित रामायणों और प्रभु श्रीराम से जुड़ी महत्वपूर्ण वस्तुओं को एकत्र किया जाएगा। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।
चंपत राय ने बताया कि सभी सुरक्षा एजेंसियों से विमर्श के बाद राम मंदिर परिसर के चारों ओर लगभग साढ़े तीन किलोमीटर लंबी घेराव दीवार (बाउंड्री वाल) बनाई जा रही है। यह व्यवस्था अपनी अनोखी और पूरी तरह सुरक्षित होगी। उन्होंने कहा कि राम मंदिर और संग्रहालय दोनों ही श्रद्धालुओं और शोधकर्ताओं के लिए आस्था और ज्ञान का केंद्र बनने जा रहे हैं।