क्या बच्चों की मौत की आशंका पर यूपी में अलर्ट, कफ सिरप की बिक्री पर रोक?

सारांश
Key Takeaways
- कफ सिरप की बिक्री पर तत्काल रोक लगाई गई है।
- बच्चों के लिए खतरनाक रसायनों की मौजूदगी की आशंका।
- सभी औषधि निरीक्षकों को जांच के लिए नमूने एकत्र करने का निर्देश।
- राज्य सरकार सख्त कार्रवाई करेगी यदि कोई दोषी पाया गया।
- बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है।
लखनऊ, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। देश के विभिन्न राज्यों में कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत की आशंका के चलते उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट पर है। औषधि प्रशासन ने पूरे राज्य में इस सिरप की बिक्री और वितरण पर तत्काल रोक लगा दी है। साथ ही सभी जिलों को आदेश दिया गया है कि संबंधित बैच के नमूने राज्य औषधि प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे जाएं।
राज्य औषधि प्रशासन के सहायक आयुक्त दिनेश कुमार तिवारी ने रविवार को आदेश जारी करते हुए बताया कि तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित मेसर्स स्रेशन फार्मास्यूटिकल (निर्माता– नं. 787, बेंगलुरु हाईवे, सुंगुवाचत्रम) द्वारा निर्मित कोल्ड आरआईएएफ सिरप (बैच नं. एसआर-1-3, निर्माण मई 2025, एक्सपायरी अप्रैल 2027) में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे विषैले रसायनों की उपस्थिति की आशंका व्यक्त की गई है। ये रसायन मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक हैं और इनके सेवन से बच्चों को गंभीर खतरा हो सकता है।
सहायक आयुक्त ने सभी औषधि निरीक्षकों, विक्रेताओं और सरकारी एवं निजी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि उक्त बैच के कफ सिरप की बिक्री, वितरण और उपयोग को तत्काल प्रभाव से रोका जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि दुकानों और अस्पतालों में मौजूद स्टॉक के नमूने तुरंत लखनऊ स्थित राज्य औषधि प्रयोगशाला को जांच हेतु भेजे जाएं। सभी औषधि निरीक्षकों को यह भी निर्देशित किया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में इस सिरप की उपलब्धता की जांच करें, नमूने एकत्र करें और ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज करें।
इसके साथ ही निर्माण प्रयोगशालाओं को भी सिरप में प्रयुक्त प्रोपलीन ग्लाइकॉल के नमूनों की जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। दिनेश तिवारी ने कहा कि लखनऊ प्रयोगशाला से जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद दोषी उत्पादक और वितरक के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए सभी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जांच पूरी होने तक उक्त बैच के कफ सिरप की बिक्री और उपयोग पूर्णतः बंद रखा जाए तथा किसी भी स्तर पर लापरवाही न बरती जाए।