क्या बलूचिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव की जड़ें इतिहास में हैं?
सारांश
Key Takeaways
- बलूचिस्तान के पास विशाल प्राकृतिक संसाधन हैं।
- चीन ने बलूचिस्तान में अरबों का निवेश किया है।
- बलूचिस्तान का विलय पाकिस्तान में विवादित है।
- चरमपंथी संगठनों का उदय पाकिस्तान में तनाव को बढ़ा रहा है।
- बलूचिस्तान आज भी स्वतंत्रता की मांग कर रहा है।
दिल्ली, २४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान में वर्तमान में हालात अनुकूल नहीं हैं। वर्षों से आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा पाकिस्तान अब अपने ही जाल में उलझ चुका है। बलूचिस्तान और पाकिस्तान के बीच संघर्ष तेज हो गया है।
बलूचिस्तान ईरान और अफगानिस्तान की सीमाओं के निकट स्थित है, जबकि यह पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में आता है। बलूचिस्तान में विशाल मात्रा में गैस, खनिज और अन्य प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं, यही कारण है कि यह चीन के लिए महत्वपूर्ण बन गया है। चीन इन संसाधनों में भारी निवेश कर रहा है।
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमी कॉरिडोर (सीपीईसी) इस क्षेत्र से होकर गुजरता है, जिसमें चीन ने अरबों का निवेश किया है। यह बलूचिस्तान में खनन परियोजनाओं और ग्वादर में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में भी निवेश कर रहा है।
इस सबके बीच यहां चरमपंथी संगठन सक्रिय हैं, जिन्हें चीन का इस क्षेत्र में प्रवेश पसंद नहीं आ रहा है। बीएलए और बीएलएफ बलूचिस्तान में अपनी उपस्थिति बनाए हुए हैं। हाल में बलूच और पाकिस्तानी सेना के बीच हिंसक झड़पें भी हुई हैं।
एक तरफ बीएलए और दूसरी ओर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान भी पाकिस्तानी सेना के खिलाफ सक्रिय है।
प्रश्न यह है कि बलूचिस्तान और पाकिस्तान के बीच संघर्ष क्यों जारी है? ध्यान दें, आज का बलूचिस्तान ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से जुड़ा है। अफगानिस्तान के निमरुज, हेलमंद और कांधार बलूचिस्तान का हिस्सा थे।
पाकिस्तान से पहले, बलूचिस्तान एक स्वतंत्र रियासत था, लेकिन बाद में उसे पाकिस्तान में शामिल होना पड़ा। बलूचिस्तान के विलय की शर्त यह थी कि सरकार उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी।
हालांकि बलूचिस्तान का विलय पाकिस्तान में हुआ, परंतु वह इसे कभी स्वीकार नहीं कर पाया। पाकिस्तान के अस्तित्व में आने पर भी जिन्ना ने बलूच के विलय के खिलाफ थे। धीरे-धीरे परिस्थितियाँ बदलती गईं और बलूचिस्तान को पाकिस्तान में मिला लिया गया।
इतिहासकारों का मानना है कि बलूचिस्तान कभी भी पाकिस्तान में विलय के लिए सहमत नहीं हुआ था। बलूच नेताओं ने भारत के साथ विलय के लिए सहमति जताई थी, लेकिन पाकिस्तान में शामिल होने के लिए नहीं।
पाकिस्तानी सरकार ने बलूचिस्तान और अन्य रियासतों को जबरदस्ती पाकिस्तान में मिला दिया। १९५६ में पाकिस्तान ने संविधान लागू किया, जिससे पाकिस्तानी सेना और नौकरशाहों का क्षेत्र में नियंत्रण बढ़ने लगा।
बलूचिस्तान में विलय के साथ ही चरमपंथी संगठनों का उदय भी हुआ। वर्ष २००० तक बीएलए ने बलूचिस्तान में सरकारी ठिकानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया।
आज भी बलूचिस्तान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है और अपने विलय को स्वीकार नहीं कर रहा है। यही कारण है कि बलूचिस्तान का संघर्ष पाकिस्तान की सेना और सरकार के साथ लगातार जारी है। बलूच विद्रोह उसी दिन से शुरू हुआ जब उसे जबरदस्ती पाकिस्तान में मिला लिया गया।