क्या बांग्लादेश आईसीटी ने शेख हसीना का प्रतिनिधित्व करने के लिए वकील की याचिका खारिज की?

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क्या बांग्लादेश आईसीटी ने शेख हसीना का प्रतिनिधित्व करने के लिए वकील की याचिका खारिज की?

सारांश

बांग्लादेश के आईसीटी ने शेख हसीना के वकील जेड.आई. खान पन्ना की याचिका खारिज कर दी। यह निर्णय पिछले साल के मानवता विरोधी अपराधों से जुड़ा है, जिसके चलते राजनीतिक माहौल गरमा गया है। क्या यह न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप है? आइए जानते हैं इस फैसले के पीछे के कारण और इसके राजनीतिक निहितार्थ।

Key Takeaways

  • शेख हसीना का प्रतिनिधित्व करने के लिए वकील की याचिका खारिज।
  • आईसीटी ने कहा कि गवाही के चरण में नया वकील नियुक्त नहीं किया जा सकता।
  • अवामी लीग ने इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित करार दिया है।
  • अभियोजन पक्ष ने 3 अगस्त को कार्यवाही शुरू की थी।
  • यह मामला पूर्व गृह मंत्री और पुलिस प्रमुख को भी शामिल करता है।

ढाका, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील जेड.आई. खान पन्ना को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति देने संबंधी याचिका खारिज कर दी। यह मामला पिछले साल जुलाई में हुए प्रदर्शनों से जुड़े मानवता विरोधी अपराधों से संबंधित है।

विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया के साथ अन्याय है और इससे हसीना के बचाव के अधिकार का हनन हुआ है। वकील नजनीन नाहर ने पन्ना की ओर से यह आवेदन दायर किया था।

स्थानीय मीडिया के अनुसार, गवाही के चरण में याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधिकरण ने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। आईसीटी ने टिप्पणी की, “ट्रेन पहले ही स्टेशन से निकल चुकी है, स्टेशन मास्टर को सूचना देकर अब उसमें सवार होना संभव नहीं है। केस के इस चरण में नया वकील नियुक्त करने का कोई अवसर नहीं है।”

न्यायाधिकरण ने बताया कि राज्य की ओर से पहले ही सुप्रीम कोर्ट के वकील अमीर हुसैन को हसीना की पैरवी के लिए नियुक्त किया गया है।

गौरतलब है कि 3 अगस्त को आईसीटी में हसीना और दो अन्य के खिलाफ मानवता विरोधी अपराधों के मामले में अभियोजन पक्ष ने अपनी कार्यवाही शुरू की थी। सह-आरोपियों में पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) चौधरी अब्दुल्ला अल मामून शामिल हैं।

कार्यवाही के बाद अवामी लीग ने अपने नेतृत्व पर लगाए गए आरोपों को “राजनीतिक रूप से प्रेरित” करार दिया और इसे मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली “अवैध” अंतरिम सरकार की साजिश बताया।

अवामी लीग नेता मोहम्मद ए. अराफात ने कहा कि न तो पूर्व प्रधानमंत्री हसीना और न ही उन्हें इस मुकदमे की औपचारिक सूचना मिली है, जो इस “गैर-निर्वाचित” सरकार की बेतुकी कार्रवाई को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “यह एक गैर-निर्वाचित कब्जाधारी की साजिश का हिस्सा है, जो लोकतांत्रिक वैधता खत्म करने, विपक्ष को चुप कराने और सत्ता में बने रहने के लिए बेताब है। ऐसी सरकार के पास न कानूनी और न नैतिक अधिकार है कि वह जनता के जनादेश से चुनी गई सरकार पर मुकदमा चलाए। संसद द्वारा पारित कानून में संशोधन का अधिकार केवल संसद को है।”

उन्होंने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता पर “हिंसक विद्रोह का सामना करते हुए संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने” के लिए मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए।

Point of View

मेरा मानना है कि यह निर्णय बांग्लादेश की न्यायिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या राजनीतिक दबाव न्यायिक स्वतंत्रता को प्रभावित कर रहा है। हमें न्याय की प्रक्रिया को संजीदगी से देखना चाहिए, ताकि लोकतंत्र की ताकत बनी रहे।

NationPress
28/09/2025

Frequently Asked Questions

बांग्लादेश आईसीटी ने शेख हसीना के वकील की याचिका क्यों खारिज की?
आईसीटी ने कहा कि याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि मामले का गवाही का चरण पहले ही शुरू हो चुका है।
इस फैसले का राजनीतिक प्रभाव क्या होगा?
विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय शेख हसीना के बचाव के अधिकार का हनन करता है और राजनीतिक तनाव को बढ़ा सकता है।