क्या बांग्लादेश के मासूमों पर मंडरा रहा है देखा-अनदेखा खतरा, बाल श्रम में 40 प्रतिशत बढ़ोतरी?
सारांश
Key Takeaways
- बाल श्रम में बढ़ोतरी
- जहरीला सीसा बच्चों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा है
- अमीर परिवारों में भी मिलावट का प्रयोग
- सरकारी निवेश में कमी
- जुड़ाव का आवश्यक होना
ढाका, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश के लाखों बच्चे अत्यंत खतरनाक परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। कुछ तो गरीबी और शहरीकरण के चक्र में फंसकर जहरीली फैक्ट्रियों में अपने जीवन की आहुति देने को मजबूर हैं, जबकि कुछ का जीवन सभी सुख-सुविधाओं से भरा होने के बावजूद जोखिम
सर्वेक्षण के अनुसार, बांग्लादेश बाल श्रम, विषाक्त सीसे के संपर्क, कुपोषण और दूषित जल की समस्या का सामना कर रहा है।
ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, इस सर्वेक्षण में लगभग 63,000 परिवारों को शामिल किया गया, जो दर्शाता है कि 2019 की तुलना में 12 लाख अधिक बच्चे बाल मजदूरी
इन निष्कर्षों को ढाका स्थित बांग्लादेश-चीन मैत्री सम्मेलन केंद्र में बीबीएस के महानिदेशक मोहम्मद मिजानुर रहमान और यूनिसेफ प्रतिनिधि राणा फ्लावर्स ने प्रस्तुत किया।
पहली बार, एमआईसीएस सर्वेक्षण में भारी धातुओं के लिए रक्त के नमूनों का परीक्षण किया गया। परिणाम एक जन स्वास्थ्य आपातकाल की ओर इशारा कर रहे हैं। इसमें यह पाया गया कि 12-59 महीने के बच्चों में 38 प्रतिशत और गर्भवती महिलाओं में 8 प्रतिशत का सीसे का स्तर सुरक्षित सीमा से काफी ज्यादा है।
ढाका में सबसे अधिक, 65 प्रतिशत बच्चों पर इसका असर पड़ा है।
शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि जहरीला सीसा मस्तिष्क के विकास को स्थायी रूप से नुकसान पहुँचा सकता है, आईक्यू को कम कर सकता है और भविष्य को अंधकारमय बना सकता है।
यह हैरान करने वाली बात है कि यह बोझ सबसे अमीर परिवारों पर है! आधे से ज्यादा प्रभावित बच्चे सबसे अमीर घरों से हैं, जो उपभोक्ता उत्पादों में व्यापक मिलावट (संदूषण) का संकेत देते हैं, जैसे कि सौंदर्य प्रसाधन, खाना पकाने के बर्तन और खिलौने।
यूनिसेफ प्रतिनिधि राना फ्लावर्स ने चेतावनी दी है कि बांग्लादेश एक नाज़ुक दौर से गुजर रहा है।
उन्होंने कहा, "बाल विवाह और बाल मृत्यु दर में कमी दर्शाती है कि क्या संभव है। लेकिन विषैला सीसा, बढ़ते सीजेरियन सेक्शन और बढ़ता बाल श्रम लाखों बच्चों को उनकी क्षमता से वंचित कर रहा है।"
"हम बाल श्रम में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि देख रहे हैं—बच्चे स्कूल से बाहर हैं, गरीबी में फंसे हैं और इस चक्र से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।"
उन्होंने सीसे के संपर्क में आने के निष्कर्षों को "चौंकाने वाला" बताया। कहा कि ढाका में दो-तिहाई प्रभावित बच्चे सबसे धनी परिवारों से आते हैं। चेतावनी देते हुए कहा, "यहां बनाए जाने वाले आईलाइनर में 78 प्रतिशत तक सीसा होता है, जिससे मस्तिष्क पर असर पड़ सकता है।"
फ्लावर्स ने यह भी बताया कि शिक्षा (जीडीपी का 1.7 प्रतिशत) और स्वास्थ्य (0.7 प्रतिशत) में बांग्लादेश का निवेश दुनिया में सबसे कम है, जिससे देश प्रगति के पथ पर नहीं बढ़ पा रहा है।