क्या बांग्लादेश में डेली स्टार और प्रोथोम एलो पर हुए हिंसक हमलों से यूएन के विशेषज्ञ नाराज हैं?

Click to start listening
क्या बांग्लादेश में डेली स्टार और प्रोथोम एलो पर हुए हिंसक हमलों से यूएन के विशेषज्ञ नाराज हैं?

सारांश

बांग्लादेश में हाल के हिंसक हमलों ने मीडिया की स्वतंत्रता पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। यूएन के विशेषज्ञों की कड़ी आलोचना के बीच, क्या यह स्थिति बांग्लादेश के लोकतंत्र को खतरे में डाल सकती है? जानें इस गंभीर मुद्दे पर क्या कहा गया है।

Key Takeaways

  • बांग्लादेश में मीडिया स्वतंत्रता पर संकट गहरा होता जा रहा है।
  • हिंसक हमले राजनीतिक अस्थिरता का संकेत हैं।
  • यूएन की आलोचना सरकार के लिए एक चेतावनी है।
  • पत्रकारों और कलाकारों की सुरक्षा का मुद्दा अहम है।
  • चुनाव के समय यह स्थिति और भी गंभीर बन सकती है।

जेनेवा, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश अब हिंसा और अराजकता के शिकंजे में फंसता जा रहा है। हाल ही में, बांग्लादेश के दो प्रमुख मीडिया संस्थानों, द डेली स्टार और प्रोथोम एलो के कार्यालयों पर हमला हुआ। यह हमला तब हुआ जब कार्यालय में कर्मचारी मौजूद थे। इस घटना के बीच, संयुक्त राष्ट्र की विशेषज्ञ ने बांग्लादेश में मीडिया आउटलेट्स पर हुए हमलों की कड़ी निंदा की है।

यूएन की विशेषज्ञ ने कहा कि बांग्लादेश में बड़े मीडिया संगठनों और सांस्कृतिक केंद्रों पर भीड़ द्वारा किए गए हमले बेहद चिंताजनक हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि इसे तुरंत और प्रभावी तरीके से जांचा जाए और दोषियों को बिना किसी देरी के सजा दी जाए।

गौरतलब है कि हाल ही में इकबाल मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद द डेली स्टार और प्रोथोम एलो के कार्यालयों में आगजनी और तोड़फोड़ की गई। इसके साथ ही न्यू एज के संपादक पर भी हमले की घटनाएं सामने आई हैं।

बांग्लादेश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर स्पेशल रिपोर्टर आइरीन खान ने कहा, “मैं एक प्रेरणादायक नेता की लक्षित हत्या और उनकी मौत के बाद स्वतंत्र पत्रकारों और कलाकारों के खिलाफ भीड़ की हिंसा की कड़ी निंदा करती हूं।”

खान ने कहा, “पत्रकारों और कलाकारों के खिलाफ जनता के गुस्से को हथियार बनाना हमेशा खतरनाक है, खासकर जब देश चुनाव की तैयारी कर रहा हो। इससे मीडिया की स्वतंत्रता, अल्पसंख्यकों की आवाजों और भिन्न विचारों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है।”

उन्होंने आगे कहा, “भीड़ के हमले अचानक नहीं हुए हैं; ये अंतरिम सरकार द्वारा सजा से बचने और मीडिया तथा रचनात्मक स्वतंत्रता को बनाए रखने में नाकामी का नतीजा हैं। पिछले एक वर्ष में बांग्लादेश में बोलने की स्वतंत्रता विशेषकर मीडिया की स्वतंत्रता पर भारी दबाव पड़ा है।”

यूएन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि ५ अगस्त २०२४ से अब तक सैकड़ों पत्रकारों को हत्या, आतंकवाद और अन्य गंभीर अपराधों के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। इसके अतिरिक्त, कई को मनमाने ढंग से लंबे समय तक हिरासत में रखा गया है। कई पत्रकारों की हत्या की गई है, जिसमें सबसे नया मामला पिछले सप्ताह देखने को मिला।”

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि हाल के महीनों में कई घटनाओं में पत्रकारों, संपादकों, राजनीतिक विश्लेषकों, कार्टूनिस्टों और सांस्कृतिक संगठनों को नॉन-स्टेट एक्टर्स से धमकियों और हिंसा का सामना करना पड़ा है।

उन्होंने कहा, “मैं सरकार से अपील करती हूं कि वह हादी की हत्या और मीडिया आउटलेट्स पर हुए हमलों की तुरंत, बिना किसी भेदभाव के, पारदर्शिता से जांच करे और दोषियों को पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत जवाबदेह ठहराए।” यूएन के विशेषज्ञ इस मामले को लेकर यूनुस की अंतरिम सरकार के संपर्क में हैं।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि बांग्लादेश में मीडिया स्वतंत्रता का संकट केवल पत्रकारों के लिए नहीं, बल्कि पूरी समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। हमें इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और समाज में स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

बांग्लादेश में हाल के हमलों का कारण क्या है?
हाल के हमलों का कारण हादी की हत्या के बाद उभरा गुस्सा और भीड़ की हिंसा है, जो स्वतंत्र पत्रकारिता को प्रभावित कर रहा है।
यूएन ने इस पर क्या प्रतिक्रिया दी है?
यूएन ने बांग्लादेश में मीडिया संस्थानों पर हुए हमलों की कड़ी निंदा की है और सरकार से उचित कार्रवाई की मांग की है।
क्या यह स्थिति बांग्लादेश के लोकतंत्र को प्रभावित कर सकती है?
हाँ, यह स्थिति बांग्लादेश के लोकतंत्र को गंभीर खतरे में डाल सकती है, खासकर जब चुनाव का समय नजदीक हो।
Nation Press