क्या बांग्लादेश में चुनावी हिंसा का नया दौर शुरू हो गया है?
सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेश में चुनावी हिंसा की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
- निर्दलीय उम्मीदवार शरीफ उस्मान हादी को गोली मारी गई।
- पुलिस हमलावरों की पहचान करने का प्रयास कर रही है।
- चुनाव के लिए तिथियों की घोषणा की गई है।
- बीएनपी के गुटों में भी हिंसा की घटनाएँ हो रही हैं।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश में चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद से राजनीतिक गतिविधियों में तेजी आई है। साथ ही, चुनावी हमलों का एक नया दौर भी शुरू हो चुका है, जिसने स्वच्छ और हिंसा रहित चुनाव की संभावना पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बांग्लादेशी मीडिया द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, इंकलाब मंच के प्रवक्ता और ढाका-8 क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार शरीफ उस्मान हादी को शुक्रवार की दोपहर चुनाव प्रचार के दौरान गोली मारी गई।
बांग्लादेशी समाचार एजेंसी यूएनबी ने बताया कि उन्हें ढाका मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (डीएमसीएच) में उपचार के लिए ले जाया गया। पुलिस कैंप के इंचार्ज इंस्पेक्टर मोहम्मद फारुक ने जानकारी दी कि यह घटना दोपहर करीब 2:30 बजे हुई। हालांकि, पुलिस ने यह स्पष्ट नहीं किया कि गोली उनके शरीर के किस हिस्से पर लगी।
द डेली स्टार के अनुसार, हादी को आज दोपहर ढाका के पलटन इलाके में रिक्शा से जाते समय गोली मारी गई। चश्मदीद गवाहों के अनुसार, हादी रिक्शे पर बिजॉयनगर की दिशा में जा रहे थे, तभी मोटरसाइकिल पर हेलमेट पहने दो व्यक्तियों ने बैतुस सलाम जामे मस्जिद के सामने उन पर गोलियां चलाईं और फरार हो गए।
ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस के मोतीझील डिवीजन के डिप्टी कमिश्नर हारुन-उर-रशीद ने बताया कि पुलिस हमलावरों की पहचान करने का प्रयास कर रही है। घटनास्थल के पास डीआर टावर के सुरक्षा गार्ड साकिब हुसैन ने कहा कि जब गोली चली, वह बिल्डिंग के अंदर थे।
गुरुवार को चुनाव आयोग ने बांग्लादेश में चुनाव की तारीखों की घोषणा की। बांग्लादेश में आम चुनाव 12 फरवरी 2026 को आयोजित होंगे। संसदीय चुनाव के लिए नामांकन 29 दिसंबर 2025 तक भरे जाएंगे। 30 दिसंबर से 4 जनवरी 2026 तक नामांकन की जांच होगी। 20 जनवरी नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख है। 21 जनवरी को चुनाव चिह्न आवंटित होंगे और अंतिम उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी। इसके साथ ही, 22 जनवरी से 10 फरवरी सुबह 7:30 बजे तक चुनाव प्रचार की अनुमति होगी।
यह ध्यान देने योग्य है कि यह चुनावी हिंसा का पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी बीएनपी के दो गुटों के बीच हिंसा के मामले सामने आए हैं। बीएनपी में आंतरिक संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच, देशभर में पूर्व पीएम शेख हसीना सरकार के समर्थकों को निशाना बनाया जा रहा है।
—राष्ट्र प्रेस
केके/डीएससी