क्या बांग्लादेश में चुनावों से पहले सुधारों को लेकर राजनीतिक दलों के बीच बहस बढ़ गई है?

सारांश
Key Takeaways
- सुधारों की जरूरत पर बहस हो रही है।
- बीएनपी ने सुधार की मांग को खारिज किया है।
- एनसीपी ने राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का आह्वान किया है।
- निर्वाचन आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया गया है।
- निष्पक्ष चुनाव की मांग उठाई गई है।
ढाका, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जैसे-जैसे बांग्लादेश में आम चुनाव नजदीक आ रहे हैं, प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच चुनावों से पहले सुधारों की आवश्यकता पर गंभीर बहस शुरू हो गई है।
‘द ढाका ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, जैसे-जैसे चुनावों का समय नजदीक आ रहा है, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी और नवगठित नेशनल सिटिजन्स पार्टी (एनसीपी) के नेता इस मुद्दे पर एक-दूसरे पर जुबानी हमले कर रहे हैं।
बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ओल्ड ढाका के मिटफोर्ड में एक व्यापारी की हत्या राजनीतिक मंसूबों को पूरा करने की साजिश है।
जमात-ए-इस्लामी के नेता मोहम्मद सलीमुद्दीन ने रैली के दौरान बीएनपी पर तंज कसा और कहा कि जनता ने पहले ही उन्हें ‘येलो कार्ड’ दिखाया था।
एनसीपी ने सुधारों और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की मांग को दोहराया है, लेकिन बीएनपी ने इसे खारिज कर दिया है।
एनसीपी के नेता हसनत अब्दुल्लाह ने निर्वाचन आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया और कहा कि इस आयोग के तहत निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं हैं।
बीएनपी ने न्याय और सुधार के तर्क को खारिज कर दिया है और कहा है कि अब वे ढांचागत सुधारों के नाम पर और देरी स्वीकार नहीं करेंगे।