क्या बरेली हिंसा में पीड़ित लोग हो रहे परेशान? दिलीप पांडेय का आरोप

सारांश
Key Takeaways
- बरेली हिंसा के पीड़ितों को परेशान किया जा रहा है।
- दिलीप पांडेय ने पुलिस की कार्रवाई की आलोचना की।
- तानाशाही सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की आवश्यकता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई को गलत बताया।
- लोगों को अपनी पूजा करने का अधिकार है।
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश सह प्रभारी दिलीप पांडेय मंगलवार को बरेली का दौरा कर रहे थे, लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके साथियों के साथ उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया। उन्होंने यूपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बरेली हिंसा के पीड़ित लोगों को परेशान किया जा रहा है।
दिलीप पांडेय ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हमें बरेली हिंसा के पीड़ितों से मिलने नहीं दिया जा रहा। जब हमने पुलिस से पूछा कि हमें क्यों रोका जा रहा है, तो उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया और हमें हाउस अरेस्ट कर दिया।"
बरेली में पुलिस की बुलडोजर कार्रवाई पर उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्रवाई ने पूरे मामले को स्पष्ट कर दिया है। कुछ लोग अपने आराध्य के प्रति भक्ति प्रकट कर रहे थे। यह कब से अपराध बन गया? इसके लिए बार-बार मामले दर्ज किए जा रहे हैं। यदि किसी ने सच में अपराध किया है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।"
दिलीप पांडेय ने कहा कि यदि पीड़ित परिवार से मिलने की कोशिश कर रहे हैं तो उन्हें रोकना उचित नहीं है। हमें रोककर क्या छुपाना चाहते हैं? जो सही है, वही कार्रवाई होनी चाहिए, लोगों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। यूपी सरकार के आदेश पर जो अधिकारी कार्रवाई कर रहे हैं, उन्हें भी सोचना चाहिए कि उनके ऊपर भी कार्रवाई हो सकती है। तानाशाही खत्म होनी चाहिए, लोकतंत्र में किसी को भी कहीं जाने की आज़ादी है।
उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से यूपी में लोग अपने आराध्य की पूजा नहीं कर पा रहे हैं, यह स्पष्ट है कि यूपी में तानाशाही की सरकार चल रही है और लोगों को परेशान किया जा रहा है। केवल अपराधियों पर कार्रवाई होनी चाहिए, सभी को परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
बुलडोजर कार्रवाई पर उन्होंने कहा कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार कार्रवाई कर रही है, वह सही नहीं है। लोग अपनी पूरी जिंदगी मेहनत कर घर बनाते हैं और सरकार उसे गिरा देती है, यह सही नहीं है।