क्या बस्तर में भय का वातावरण लोकतंत्र के लिए खतरा है?

सारांश
Key Takeaways
- बस्तर में डर का माहौल चिंता का विषय है।
- लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
- सिंहदेव ने प्रशासन को लचीला और व्यवहारिक होने की सलाह दी है।
- कवासी लखमा के इलाज में बाधा पर चिंता जताई गई।
- जनगणना का सामाजिक पहल महत्वपूर्ण है।
रायपुर, 21 जून (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बस्तर दौरे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, "मेरे कुछ साथी बस्तर में हैं, और लोकतंत्र में हमें आजादी की बात करनी चाहिए। लेकिन वहां डर और भय का माहौल बना हुआ है। लोग सोचते हैं कि यदि वे कुछ कहेंगे, तो उसका गलत अर्थ न निकाला जाए। यह एक गंभीर चिंता का विषय है।"
उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र में खुला संवाद और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होनी चाहिए, न कि डर का वातावरण।
डीएमएफ (जिला खनिज फाउंडेशन) घोटाले से संबंधित एक सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में सिंहदेव ने बताया, "यह सत्य है कि मैंने दिग्विजय सिंह से बात की थी। उन्होंने कहा कि वह पोस्ट उन्होंने नहीं किया था, बल्कि यह रिपोस्ट हुआ था। अब वे इसे वापस ले रहे हैं। यह मामला हाल का नहीं था, लेकिन जिस संदर्भ में इसे प्रस्तुत किया गया, वह गलत था। ऐसे कई मुद्दे हैं जो सामने नहीं आ पाते हैं।"
हाल ही में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आदेश को स्थगित करने के निर्णय पर सिंहदेव ने कहा, "यदि कोई आदेश व्यावहारिक नहीं है, तो उसे स्थगित या वापस लेने में किसी को शर्म नहीं होनी चाहिए। प्रशासन को लचीला और व्यवहारिक होना चाहिए।"
जेल में बंद कवासी लखमा के इलाज में बाधा को लेकर सिंहदेव ने चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "मैं स्वयं लखमा जी से मिलने गया था। उन्होंने बताया कि उन्हें आंख की गंभीर तकलीफ है, और डॉक्टर की अपॉइंटमेंट भी मिल गई है, लेकिन गार्ड उपलब्ध नहीं हो पा रहे। मैंने प्रशासन से बात की थी, जब डॉक्टर जाने को कह रहे हैं, तो प्रशासन का कर्तव्य है कि केवल गार्ड मुहैया कराए।"
बस्तर में जनगणना के सामाजिक पहचान के मुद्दे पर सिंहदेव ने कहा, "यह एक सामाजिक पहल है। कानूनी मान्यता भले ही न हो, लेकिन समाज में इसका महत्व है। ऐसा प्रयोग महाराष्ट्र में भी किया जा रहा है।"