क्या मध्य प्रदेश की भानपुरा पीठ के शंकराचार्य की जान को खतरा है?
सारांश
Key Takeaways
- ज्ञानानंद तीर्थ की जान को खतरा है।
- जमीन संबंधी गड़बड़ियों के लिए न्यायालय में मामला दर्ज किया गया है।
- भानपुरा पीठ की ज़मीन पर कब्जा हुआ है।
- सुरक्षा में कमी को लेकर प्रशासन पर सवाल उठाए गए हैं।
- राजनीतिक नेताओं ने इस मामले पर ध्यान देने की अपील की है।
मंदसौर, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के ज्योर्तिमठ भानपुरा पीठ के शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ ने अपनी जान को खतरे में बताया है। भानपुरा पीठ की जमीन कुछ लोगों द्वारा अनुचित तरीके से हथियाई गई है, और इसकी लड़ाई ज्ञानानंद स्वयं लड़ रहे हैं। इसी संदर्भ में उन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। संवाददाताओं से शंकराचार्य ने अपने और अपने शिष्य पर पिछले कुछ वर्षों में हुए हमलों का उल्लेख किया और कई गंभीर आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि आश्रम से संबंधित सुंदरानंद 1998 में ब्रह्मलीन हो चुके हैं, लेकिन कुछ व्यक्तियों ने फर्जी तरीके से अन्य व्यक्ति को सुंदरानंद बना कर भानपुरा पीठ की ज़मीन का विक्रय कर दिया है। इस पर उन्होंने न्यायालय में याचिका दायर की है।
ज्ञानानंद ने बताया कि जमीन से संबंधित गड़बड़ियों के लिए उन्होंने कई बार जिला प्रशासन और पुलिस को लिखा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने अपने ऊपर हुए हमलों के बारे में कहा कि एक बार उन पर हमला हुआ था, जिसमें उनके सुरक्षाकर्मी की मौत हो गई थी और वे खुद घायल हुए थे।
वर्तमान में भी उनके और उनके उत्तराधिकारी वरुणेंद्र तीर्थ पर हमले हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। ज्ञानानंद को शंकराचार्य सत्यमित्रानंद के ब्रह्मलीन होने के बाद उनका उत्तराधिकारी बनाया गया था। उनका आरोप है कि पिछले 10 वर्षों से उन्हें शंकराचार्य के रूप में मिलने वाली सुविधाएं नहीं दी गई हैं और सुरक्षा में भी वृद्धि नहीं की गई है।
कांग्रेस नेता सुभाष कुमार सोजतिया ने कहा कि शंकराचार्य की जान को खतरा है, इसलिए उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मिलनी चाहिए और उनके द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।