क्या भारत और मध्य एशियाई देशों ने साइबर खतरों पर कार्यशाला आयोजित की?
सारांश
Key Takeaways
- भारत ने मध्य एशियाई देशों के साथ साइबर सुरक्षा पर सहयोग बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाया।
- तीन दिवसीय कार्यशाला में विभिन्न साइबर खतरों पर चर्चा की गई।
- प्रतिनिधियों ने साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नई रणनीतियों पर विचार किया।
- यह अभ्यास क्षेत्र की सामूहिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय ने विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र के सहयोग से मध्य एशियाई देशों के लिए तीन दिवसीय साइबर अभ्यास का आयोजन किया।
इसमें कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और यह अभ्यास 12 से 14 नवंबर तक आयोजित हुआ।
तीन दिवसीय कार्यशाला में साइबर सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई, जिसमें हर देश के प्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी बात रखी और संभावित समस्याओं का समाधान खोजने पर विचार किया गया।
यह स्ट्रैटेजिक साइबर अभ्यास सुरक्षा परिषदों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक के ढांचे के तहत भारत की प्रतिबद्धताओं में से एक के सफल समापन का प्रतीक है। साइबर सुरक्षा एजेंसियों, राष्ट्रीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमों, और मध्य एशियाई देशों की संबंधित सुरक्षा एजेंसियों की तकनीकी टीमों ने इस अभ्यास में भाग लिया।
यह अभ्यास क्षेत्र के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को लक्षित करने वाले तेजी से परिष्कृत अंतरराष्ट्रीय साइबर खतरों से निपटने के लिए तकनीकी टीमों को उन्नत कौशल से लैस करने पर केंद्रित था। इसने उच्च-स्तरीय रणनीतिक नीति निर्णय लेने और सहयोग के भविष्य के क्षेत्रों पर विचार-विमर्श के कौशल को विकसित किया।
क्षेत्र की साइबर सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों ने स्थायी रणनीतिक सहयोग के तंत्रों की खोज के लिए भी विचार-विमर्श किया। इसके साथ ही एक दूसरे के सहयोग से साइबर सुरक्षा को मजबूत करने पर भी चर्चा की गई।
इस अभ्यास का सफल समापन भारत और मध्य एशिया की सामूहिक सुरक्षा यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। सभी देशों ने मिलकर साइबर सुरक्षा को और सशक्त बनाने के लिए कार्य करने की योजना बनाई है।