क्या भारत और रूस के बीच 'मजबूत और भरोसेमंद साझेदारी' है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत और रूस के बीच मजबूत साझेदारी की पुष्टि
- भारत की ऊर्जा जरूरतें और रूस से तेल खरीदने का कारण
- अमेरिका की चिंताएं और व्यापारिक संबंधों पर प्रभाव
- रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव
- भविष्य में साझेदारी को मजबूत बनाने की आवश्यकता
नई दिल्ली, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा कि भारत और रूस के बीच 'मजबूत और भरोसेमंद साझेदारी' मौजूद है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, रणधीर जायसवाल ने यह स्पष्ट किया कि भारत के किसी भी देश के साथ रिश्ते अपनी खूबियों पर निर्भर करते हैं और इन्हें किसी तीसरे देश की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए।
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत-रूस संबंधों में कोई परिवर्तन आया है, तो जायसवाल ने कहा, "हमारे किसी भी देश के साथ संबंध अपनी योग्यता पर आधारित हैं और उन्हें किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखना चाहिए। भारत-रूस संबंधों में हमारी दोस्ती मजबूत और भरोसेमंद है।"
रणधीर जायसवाल का यह बयान अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो के उस बयान के 24 घंटे बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत का रूस से तेल खरीदना अमेरिका के साथ उसके संबंधों में परेशानी का कारण है।
यह ध्यान देने योग्य है कि भारत, 2022 से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद, रूस से तेल की खरीद जारी रखे हुए है।
रूबियो ने गुरुवार को फॉक्स रेडियो पर कहा, "भारत हमारा सहयोगी और रणनीतिक साझेदार है, लेकिन विदेश नीति में हर समय 100 प्रतिशत सहमति नहीं होती।"
उन्होंने आगे कहा, "भारत की ऊर्जा जरूरतें बहुत अधिक हैं, जो तेल, कोयला, गैस और अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आवश्यक चीजों की खरीद में शामिल हैं, जैसा कि हर देश करता है। भारत ये सभी जरूरतें रूस से पूरी करता है, क्योंकि रूसी तेल पर पाबंदियां लगी हैं और यह सस्ता मिलता है।"
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत के रूस के साथ व्यापारिक संबंधों का उल्लेख करते हुए भारतीय आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क और अतिरिक्त दंड लगाने की घोषणा की थी, जो 1 अगस्त से लागू होने वाला था। हालांकि, अब इस फैसले को 7 अगस्त के लिए टाल दिया गया है।