भारत-चीन द्विपक्षीय सहयोग में पिछले एक साल में क्या महत्वपूर्ण प्रगति हुई है? : किन योंग

सारांश
Key Takeaways
- भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति
- संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता
- व्यापार और संस्कृति में साझेदारी
- वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए सहयोग
- 75वीं वर्षगांठ पर सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता
कोलकाता, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण प्रगति देखी जा रही है। कोलकाता में चीन के कार्यवाहक उप महावाणिज्य दूत किन योंग ने इस वर्ष को दोनों देशों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में भारत-चीन संबंधों ने नई ऊंचाइयों को छुआ है, विशेष रूप से कज़ान और तियानजिन में हुई उच्च-स्तरीय बैठकों के बाद।
किन योंग ने जोर देकर कहा कि तियानजिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति की मुलाकात ने द्विपक्षीय संबंधों को एक नए स्तर पर पहुंचाया है।
उन्होंने इसे नई ऊंचाई करार देते हुए कहा कि यह मुलाकात दोनों देशों के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हुई है। कजान में हुई पिछली बैठक के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों की पुनः शुरुआत हुई, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा है।
उन्होंने कहा, "पिछले एक साल में हमने अपने द्विपक्षीय सहयोग में उल्लेखनीय प्रगति की है। दोनों देशों के बीच नई समझ विकसित हुई है, जिसे और मजबूत करने की आवश्यकता है।"
किन योंग ने व्यापार, संस्कृति, और लोगों के बीच आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में प्रगति पर प्रकाश डाला।
चीन के उप महावाणिज्य दूत ने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देशों को आपसी विश्वास और संवाद को और मजबूत करना चाहिए। उन्होंने कहा, "हमें अपनी साझेदारी को और गहरा करने के लिए मिलकर काम करना होगा। यह न केवल हमारे दोनों देशों के लिए, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है।"
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच लोगों का आपसी संपर्क और सांस्कृतिक समझ संबंधों को और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
इस वर्ष की 75वीं वर्षगांठ को दोनों देश एक अवसर के रूप में देख रहे हैं ताकि भविष्य में और अधिक सकारात्मक कदम उठाए जा सकें।