क्या भारत-जर्मनी साझेदारी नई ऊंचाई पर पहुंच रही है? पीयूष गोयल और जोहान वेडफुल ने ब्रुसेल्स में की महत्वपूर्ण चर्चा
सारांश
Key Takeaways
- भारत और जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी में वृद्धि।
- भारत-ईयू एफटीए को शीघ्र अंतिम रूप देने की प्रतिबद्धता।
- नवाचार और हरित ऊर्जा में सहयोग को बढ़ावा।
- बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था में समृद्धि सुनिश्चित करने का प्रयास।
- जर्मनी भारत का सबसे बड़ा यूरोपीय व्यापारिक साझेदार।
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ब्रुसेल्स में अपनी यात्रा की शुरुआत जर्मनी के संघीय विदेश मंत्री जोहान वेडफुल के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक के साथ की। इस बैठक में भारत और जर्मनी के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूती प्रदान करने पर जोर दिया गया।
दोनों नेताओं ने भारत-यूरोपीय संघ (ईयू) मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को शीघ्र अंतिम रूप देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जो दोनों पक्षों के लिए आर्थिक विकास और व्यापार विस्तार का एक नया द्वार खोलेगा।
पीयूष गोयल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए कहा, "ब्रुसेल्स यात्रा की शुरुआत जोहान वेडफुल के साथ सकारात्मक चर्चा से हुई। हमारी बातचीत आपसी हित और विकास के प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित थी। भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी और भारत-ईयू एफटीए को जल्द पूरा करने की दिशा में हमारा संकल्प मजबूत हुआ।"
जर्मनी के विदेश मंत्री वेडफुल ने भी 'एक्स' पर इस बैठक को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, "जर्मनी और भारत सहयोगी साझेदारी बना रहे हैं जो नवाचार, विकास और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए है। एक साथ काम करके हम अपनी अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करते हैं और बदलती दुनिया में समृद्धि सुनिश्चित करते हैं। इस मूल्यवान बैठक के लिए पीयूष गोयल को धन्यवाद।"
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब भारत और ईयू के बीच एफटीए वार्ता अपने अंतिम चरण में है। माना जा रहा है कि यह समझौता भारत के लिए यूरोपीय बाजारों में वस्तुओं और सेवाओं की पहुंच बढ़ाएगा, साथ ही जर्मनी जैसे देशों के लिए भारत में निवेश के नए अवसर खोलेगा। भारत-जर्मनी साझेदारी नवाचार, हरित ऊर्जा, डिजिटल प्रौद्योगिकी और ऑटोमोटिव क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा दे रही है।
जर्मनी भारत का सबसे बड़ा यूरोपीय व्यापारिक साझेदार है, और 2024-25 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 30 बिलियन यूरो को पार कर गया। ब्रुसेल्स में यह मुलाकात भारत के 'आत्मनिर्भर भारत' और जर्मनी के 'ग्लोबल सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन' के विजन को साकार करने की दिशा में एक कदम है।