क्या भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे हो गए हैं? रक्षा सहयोग को मजबूत करने पर ध्यान?

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क्या भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे हो गए हैं? रक्षा सहयोग को मजबूत करने पर ध्यान?

सारांश

भारत और जर्मनी की 25 साल पुरानी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए नई दिल्ली में उच्च रक्षा समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में रक्षा सहयोग, सैन्य आदान-प्रदान और संयुक्त अभ्यासों पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। जर्मनी की भागीदारी से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक संतुलन बढ़ेगा।

Key Takeaways

  • भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी का 25 वर्ष पूरा हुआ।
  • उच्च रक्षा समिति की बैठक में रक्षा सहयोग पर चर्चा हुई।
  • भविष्य में सामरिक संतुलन को बढ़ावा देने की योजना है।
  • संयुक्त अनुसंधान और उत्पादन को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • सैन्य आदान-प्रदान को बढ़ाने का निर्णय लिया गया।

नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत-जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी अब 25 वर्ष पुरानी हो गई है। इस साझेदारी और रक्षा सहयोग को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए दोनों देशों के बीच उच्च रक्षा समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित की गई।

बैठक की सह-अध्यक्षता रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और जर्मनी के रक्षा मंत्रालय के स्टेट सेक्रेटरी जेन्स प्लॉटनर ने की। इस दौरान दोनों देशों ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग से संबंधित कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की और भविष्य में सहयोग को नए आयाम देने पर सहमति जताई।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्षों ने रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया। नवाचार और उच्च तकनीकों के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान, विकास और उत्पादन को प्राथमिकता देने पर सहमति बनी है। यह सहयोग भविष्य में उन्नत रक्षा प्रणालियों और अत्याधुनिक उपकरणों के निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। सैन्य सहयोग को सुदृढ़ करने का निर्णय भी लिया गया।

भारत और जर्मनी ने परस्पर सैन्य सहयोग को रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ मानते हुए इसे और मजबूत करने पर जोर दिया। दोनों देशों ने सैन्य आदान-प्रदान को बढ़ावा देने, संयुक्त अभ्यासों को संस्थागत रूप देने और विभिन्न स्तरों पर रक्षा संवाद को नियमित करने पर सहमति जताई है।

यह ध्यान देने योग्य है कि जर्मनी ने वर्ष 2026 में आयोजित होने वाले दो बड़े बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यासों में भाग लेने की पुष्टि की है। इनमें तरंग शक्ति बहुराष्ट्रीय वायु युद्धाभ्यास और नौसेना का मिलन बहुराष्ट्रीय अभ्यास शामिल हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इन अभ्यासों में जर्मनी की भागीदारी, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक संतुलन और सहयोग को और गहरा करेगी। रक्षा सचिव ने जर्मन प्रतिनिधिमंडल को बताया कि भारत की क्षेत्रीय भूमिका उसकी नीति ‘महासागर’ द्वारा निर्देशित है। भारत समुद्री सुरक्षा में अपनी भूमिका निभाते हुए सामुद्रिक सुरक्षा, क्षमता निर्माण, विकास साझेदारी और मानवीय सहायता व आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में सक्रिय योगदान कर रहा है। जर्मनी ने इस क्षेत्र में भारत की महत्वपूर्ण और स्थिरकारी भूमिका को स्वीकार किया है।

बैठक में यह भी बताया गया कि वर्ष 2025 भारत-जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है। दोनों देशों ने साझा मूल्यों, बहुपक्षवाद और वैश्विक शांति के प्रति प्रतिबद्धता के आधार पर सहयोग को और गहरा करने की इच्छा व्यक्त की। रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में बढ़ता सहयोग, दोनों देशों के बीच परस्पर विश्वास और दीर्घकालिक साझेदारी को और मजबूत करेगा।

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, भारत-जर्मनी उच्च रक्षा समिति की यह बैठक द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को एक नई दिशा और गति प्रदान करती है। रक्षा उत्पादन, उन्नत तकनीक, सैन्य अभ्यासों और क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग जैसे क्षेत्रों में लिए गए निर्णय, आने वाले वर्षों में दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को और सुदृढ़ करेंगे।

Point of View

क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
NationPress
18/11/2025

Frequently Asked Questions

भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी का क्या महत्व है?
भारत-जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी का महत्व उनके साझा मूल्यों, सुरक्षा सहयोग, और वैश्विक शांति की दिशा में प्रयासों में है।
उच्च रक्षा समिति की बैठक में क्या निर्णय लिए गए?
बैठक में रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने, संयुक्त अभ्यासों को संस्थागत बनाने, और सैन्य आदान-प्रदान बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
भारत और जर्मनी के बीच सैन्य सहयोग के लाभ क्या हैं?
सैन्य सहयोग से दोनों देशों के बीच विश्वास बढ़ता है, और यह क्षेत्रीय सुरक्षा में स्थिरता लाने में मदद करता है।
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