क्या भारत का वार्षिक कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन चार वर्षों में 115 प्रतिशत से अधिक बढ़ा?
सारांश
Key Takeaways
- भारत का कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन 115 प्रतिशत बढ़ा है।
- कॉरपोरेट मुनाफा 7.1 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया है।
- टैक्स दरों में कमी से कंपनियों को लाभ हुआ है।
- अनक्लेम्ड डिपॉजिट का वापस किया जाना महत्वपूर्ण है।
- सरकार ने टैक्स सिस्टम को सरल बनाया है।
नई दिल्ली, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत का कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन पिछले चार वित्तीय वर्षों में लगभग 115 प्रतिशत या 5,29,048 करोड़ रुपए की वृद्धि के साथ वित्त वर्ष 2024-25 में 9,86,767 करोड़ रुपए तक पहुँच गया है, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में यह 4,57,719 करोड़ रुपए था। यह जानकारी मंगलवार को सरकार द्वारा साझा की गई।
केंद्रीय वित्तीय राज्य मंत्री ने राज्य सभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि नेट प्रॉफिट मार्जिन अब प्री-कोविड स्तर से भी अधिक हो गया है। वित्त वर्ष 2024-25 में कॉरपोरेट मुनाफा बढ़कर 7.1 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में यह 2.5 लाख करोड़ रुपए था।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश में आर्थिक वृद्धि, निवेश और नौकरियों के अवसर पैदा करने के लिए 2016 के बाद से कॉरपोरेट टैक्स में काफी कमी की गई है। साथ ही, टैक्स सिस्टम को सरल बनाने के लिए कॉरपोरेट्स को मिलने वाली छूट और इंसेंटिव को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया गया है।
फाइनेंस एक्ट, 2016 ने कॉर्पोरेट टैक्स दर को कंपनी की कुल आय का 29 प्रतिशत कर दिया था। इसके बाद, फाइनेंस एक्ट, 2017 के तहत, कॉरपोरेट टैक्स दर को 25 प्रतिशत कर दिया गया, जिससे 50 करोड़ रुपए सालाना टर्नओवर वाली छोटी घरेलू कंपनियों को अधिक लाभ मिला और उन्हें कंपनी फॉर्मेट में माइग्रेट करने के लिए बढ़ावा मिला। इसी तरह, 2019 में कॉर्पोरेट टैक्स दर को घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया गया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार के विभिन्न वैधानिक, प्रशासनिक और प्रवर्तन कदमों के कारण देश का टैक्स आधार बीते कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री चौधरी ने कहा कि भारतीय बैंकों ने पिछले तीन वर्षों में 10,000 करोड़ रुपए से अधिक के अनक्लेम्ड डिपॉजिट लोगों को वापस कर दिए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 30 जून, 2025 तक, सरकारी बैंकों ने इस फंड में 58,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि ट्रांसफर की है, जिसमें अकेले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की हिस्सेदारी 19,330 करोड़ रुपए है।
निजी बैंकों ने भी इस फंड में 9,000 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए हैं। इसमें आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक की हिस्सेदारी सबसे अधिक है।