क्या 2025 में भारत का रक्षा क्षेत्र रहा दमदार? फ्रांस से राफेल खरीदी और तेजस से बढ़ा स्वदेशीकरण
सारांश
Key Takeaways
- भारत ने अमेरिका के साथ 10 साल का डिफेंस फ्रेमवर्क साइन किया।
- फ्रांस से 26 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद।
- रूस के साथ स्वदेशीकरण को बढ़ावा।
- भारत का रक्षा उत्पादन 1.54 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया।
- 65 प्रतिशत रक्षा उपकरण अब घरेलू स्तर पर निर्मित।
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए वर्ष 2025 अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ है। इस वर्ष, देश ने अमेरिका के साथ रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने के लिए 10 साल का डिफेंस फ्रेमवर्क साइन किया और फ्रांस के साथ राफेल मरीन विमानों का बड़ा सौदा किया। इसके साथ ही रूस के सहयोग से स्वदेशीकरण को बढ़ावा दिया गया है।
इस वर्ष, भारत ने अमेरिका के साथ 10 वर्ष का भारत-यूएस डिफेंस फ्रेमवर्क साइन किया है। इसके अंतर्गत दोनों देश रक्षा क्षेत्र में अपनी साझेदारी को और गहरा करेंगे। इसका उद्देश्य रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण और नीतिगत दिशा प्रदान करना है।
इसके साथ ही, भारत ने अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी ड्रोन खरीदने का निर्णय लिया है, जिसकी कीमत लगभग 3.5 अरब डॉलर है।
अप्रैल में, भारत ने फ्रांस के साथ एक महत्वपूर्ण डिफेंस डील की, जिसमें भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की स्वीकृति दी गई। इसमें 22 एक सीट वाले और 4 दो सीट वाले लड़ाकू विमान शामिल हैं, और इस डील की कुल वैल्यू लगभग 63,000 करोड़ रुपए है।
भारत निरंतर आयात के माध्यम से अपनी सेना को बिना कठिनाई के आधुनिक बना रहा है, जबकि स्वदेशी रक्षा उपकरणों पर जोर देकर घरेलू उत्पादन को भी बढ़ा रहा है।
भारत-रूस के ज्वाइंट वेंचर इंडो-रसिया राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल), अमेठी ने एकके-203 असॉल्ट राइफल्स के दूसरे बैच की आपूर्ति 2025 की दूसरी छमाही में की है। यह भारत-रूस के बीच राइफल्स की आपूर्ति के लिए हुए 5,200 करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत 6 लाख से अधिक राइफल्स की आपूर्ति की जाएगी।
अथवा, सरकार ने 97 स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस की खरीद को भी मंजूरी दी है, जिसकी कीमत 66,500 करोड़ रुपए है। यह फरवरी 2021 में दिए गए 83 तेजस लड़ाकू विमानों के ऑर्डर के अतिरिक्त है, जिसकी वैल्यू 46,898 करोड़ रुपए थी।
केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया के अनुसार, देश 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपए के रक्षा उत्पादन और 50,000 करोड़ रुपए के रक्षा निर्यात की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने गुरुवार को कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में देश का रक्षा उत्पादन 1.54 लाख करोड़ रुपए रहा था, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में यह 1.27 लाख करोड़ रुपए था। पिछले एक दशक में इसमें 174 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है, जो कि वित्त वर्ष 2014-15 में 46,429 करोड़ रुपए पर था।
उन्होंने कहा, "भारत अब अपने रक्षा उपकरणों का लगभग 65 प्रतिशत घरेलू स्तर पर निर्मित करता है, जो पहले की 65-70 प्रतिशत की उच्च आयात निर्भरता से एक महत्वपूर्ण सुधार है।"