क्या अधिक वाहनों की आवाजाही का असर है? भारत का टोल राजस्व जनवरी-सितंबर अवधि में 16 प्रतिशत बढ़ा

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क्या अधिक वाहनों की आवाजाही का असर है? भारत का टोल राजस्व जनवरी-सितंबर अवधि में 16 प्रतिशत बढ़ा

सारांश

भारत के हाइवे टोल राजस्व में 16 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जानिए इसके पीछे की वजह क्या है और यह वृद्धि किस प्रकार देश के आर्थिक विकास को प्रभावित कर रही है।

Key Takeaways

  • हाइवे टोल राजस्व में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • वाहनों की आवाजाही और टोल दरों में संशोधन इसका मुख्य कारण है।
  • पश्चिम भारत ने टोल राजस्व में प्रमुख योगदान दिया है।

नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। इस साल जनवरी से सितंबर की अवधि में, भारत का हाइवे टोल राजस्व सालाना आधार पर 16 प्रतिशत बढ़कर 49,193 करोड़ रुपए तक पहुँच गया है। इसकी मुख्य वजह वाहनों की आवाजाही में वृद्धि और टोल दरों में संशोधन है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में मंगलवार को पेश की गई।

आईसीआरए एनालिटिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, समीक्षा अवधि में टोल देने वाले ट्रैफिक की मात्रा 12 प्रतिशत बढ़कर 26,864 लाख हो गई है।

राष्ट्रीय स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन 2024 में 57,940 करोड़ रुपए के रिकॉर्ड उच्च स्तर तक पहुँच गया, जो कि सालाना आधार पर लगभग 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

रिपोर्ट के अनुसार, टोल देने वाले लेनदेन की संख्या 2024 में 32,515 लाख हो गई है, जबकि 2023 में यह 30,383 लाख थी। इसमें सालाना आधार पर 7 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है।

पिछले दो वर्षों में ट्रैफिक की वॉल्यूम में तेजी से वृद्धि हुई है, लेकिन आईसीआरए ने बताया कि राजस्व में वृद्धि वॉल्यूम की तुलना में अधिक तेज रही है, जिसका आंशिक कारण भारी वाहनों की अधिक हिस्सेदारी और संशोधित यूजर फीस है।

रिपोर्ट में कहा गया कि पश्चिमी और दक्षिणी गलियारों ने लगातार राष्ट्रीय टोल राजस्व में आधे से अधिक का योगदान दिया है। "जनवरी से सितंबर 2025 तक, पश्चिम भारत राष्ट्रीय टोल राजस्व में लगभग 30 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ अग्रणी बना रहेगा, उसके बाद 25 प्रतिशत के साथ दक्षिण और 23 प्रतिशत के साथ उत्तर का स्थान है।"

आईसीआरए ने कहा कि पूर्वी और मध्य भारत मिलकर कुल कलेक्शन में लगभग एक-चौथाई का योगदान करते हैं, जो स्थिर क्षेत्रीय संतुलन को दर्शाता है।

आईसीआरए एनालिटिक्स के अनुसार, पूर्व, मध्य और पश्चिम भारत माल-केंद्रित क्षेत्र हैं, जहां टोल ट्रैफिक में वाणिज्यिक वाहनों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक है।

मध्य भारत में एनएच-44, एनएच-47 और एनएच-52 जैसे गलियारे लंबी दूरी के माल और बढ़ते इंटर-सिटी पैसेंजर ट्रैफिक दोनों को सहन करते हैं।

इसके विपरीत, उत्तर और दक्षिण भारत अभी भी पैसेंजर केंद्रित हैं, जहां कारों और जीपों की टोल लेनदेन में हिस्सेदारी 65-70 प्रतिशत है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि टोल राजस्व में वृद्धि केवल संयोग नहीं है, बल्कि यह हमारे देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था और परिवहन क्षेत्र की स्थिति का स्पष्ट संकेत है। यदि हम इस विकास को सही दिशा में आगे बढ़ाते हैं, तो यह हमारे देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकता है।
NationPress
28/10/2025

Frequently Asked Questions

भारत में टोल राजस्व में वृद्धि का मुख्य कारण क्या है?
मुख्य कारण वाहनों की आवाजाही में वृद्धि और टोल दरों में संशोधन है।
आईसीआरए एनालिटिक्स की रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
रिपोर्ट में कहा गया है कि टोल देने वाले ट्रैफिक की मात्रा 12 प्रतिशत बढ़ी है और इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन में भी वृद्धि हुई है।
कौन से क्षेत्र टोल राजस्व में अधिक योगदान देते हैं?
पश्चिम और दक्षिणी गलियारों ने राष्ट्रीय टोल राजस्व में आधे से अधिक का योगदान दिया है।