क्या भारत के कर सुधार निर्णायक चरण में हैं? नीति आयोग ने परदर्शी प्रणाली पर ध्यान केंद्रित किया

सारांश
Key Takeaways
- भारत के कर सुधार में सरलीकरण और आधुनिकीकरण पर जोर दिया जा रहा है।
- विश्वास-आधारित शासन की ओर बढ़ने से राजकोषीय अखंडता बढ़ेगी।
- गैर-अपराधीकरण रोडमैप की सिफारिश की गई है।
- निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए ये सुधार महत्वपूर्ण हैं।
- कार्यक्रम में प्रमुख कर विशेषज्ञों की भागीदारी हुई।
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के कर सुधार वर्तमान में एक निर्णायक चरण में हैं, और इस पर सरलीकरण, आधुनिकीकरण, और कर प्रशासन में विश्वास के एकीकरण पर जोर दिया जा रहा है। यह जानकारी शुक्रवार को नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने साझा की।
उन्होंने कहा, "जैसे-जैसे भारत प्रवर्तन-संचालित अनुपालन से विश्वास-आधारित शासन की ओर बढ़ रहा है, फोकस एक अनुपातिक, निष्पक्ष और पारदर्शी प्रवर्तन प्रणाली पर होना चाहिए जो करदाताओं को सशक्त बनाते हुए राजकोषीय अखंडता की रक्षा करें।"
नीति आयोग ने शुक्रवार को नीति टैक्स पॉलिसी वर्किंग पेपर सीरीज-II के तहत दूसरा वर्किंग पेपर जारी किया, जिसका शीर्षक "भारत के कर परिवर्तन की ओर: गैर-अपराधीकरण और विश्वास-आधारित शासन" था।
इस वर्किंग-पेपर में आयकर अधिनियम, 2025 के अंतर्गत आपराधिक प्रावधानों का व्यापक मूल्यांकन किया गया है और उनकी आवश्यकता, आनुपातिकता और सरकार के व्यापक सुधार एजेंडे के साथ संरेखण का मूल्यांकन किया गया है।
साथ ही, इसमें दंड को तर्कसंगत बनाने, छोटे और प्रक्रियागत गैर-अनुपालनों को अपराधमुक्त करने और न्यायिक विवेकाधिकार को सुदृढ़ करने के लिए सिद्धांत-आधारित ढांचे का प्रस्ताव किया गया है।
नीति आयोग के वर्किंग-पेपर में कहा गया है कि 2025 अधिनियम में कई पुराने अपराधों को समाप्त कर दिया गया है, लेकिन 13 प्रावधानों में 35 कार्यों और गलती को आपराधिक श्रेणी में रखा गया है, जिनमें से अधिकांश में अनिवार्य कारावास का प्रावधान है।
वर्किंग-पेपर में एक सुनियोजित गैर-अपराधीकरण रोडमैप की सिफारिश की गई है, जिसमें मामूली प्रक्रियागत चूक के लिए कारावास को हटाना, धोखाधड़ी या जानबूझकर कर चोरी से जुड़े मामलों तक ही आपराधिक दंड को सीमित करना और सिविल और प्रशासनिक सजा की भूमिका को बढ़ाना शामिल है।
सुब्रह्मण्यम के अनुसार, ऐसे सुधारों से मुकदमेबाजी कम होगी, निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और ग्लोबल बेस्ट प्रैक्टिस के अनुरूप एक निष्पक्ष और पूर्वानुमानित कर व्यवस्था के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और मजबूत होगी।
इस कार्यक्रम में सीबीडीटी, सीबीआईसी, आईसीएआई, डीपीआईआईटी के प्रतिनिधियों और प्रमुख कर विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिन्होंने नीति आयोग के कर नीति सलाहकार समूह (सीजीटीपी) के साथ मिलकर काम किया है, जिसका नेतृत्व नीति आयोग के विशिष्ट फेलो डॉ. पीएस पुनिहा और नीति आयोग के कार्यक्रम निदेशक संजीत सिंह कर रहे हैं।