क्या देहरादून में एस सोमनाथ ने अभाविप के राष्ट्रीय अधिवेशन में सच्चे नेतृत्व की बात की?
सारांश
Key Takeaways
- युवाओं का नेतृत्व राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण है।
- अभाविप ने समाज में सेवा और एकता का संदेश दिया।
- भारत का भविष्य युवाओं के हाथ में है।
- संगठनात्मक सिद्धांत 'चरैवेति-चरैवेति' के अनुसार अग्रसर रहना चाहिए।
- नई पीढ़ी को नवाचार और नेतृत्व के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
नई दिल्ली, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। देहरादून के परेड ग्राउंड में अस्थायी रूप से स्थापित 'भगवान बिरसा मुंडा नगर' के 'जनरल विपिन रावत सभागार' में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) का 71वां राष्ट्रीय अधिवेशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ द्वारा शुक्रवार को भव्य रूप से आरंभ किया गया।
अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने पिछले वर्ष का रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस वर्ष अभाविप ने 76,98,448 विद्यार्थियों की सदस्यता लेकर सभी पुराने आंकड़ों को पीछे छोड़ दिया है। यह संख्या अभाविप के 77 वर्षों के इतिहास में सर्वाधिक है। उद्घाटन सत्र के बाद 'युवा भारत का आह्वान' विषय पर भाषण सत्र आयोजित हुआ, जिसमें अभाविप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. एस सोमनाथ ने सभी उपस्थित प्रतिनिधियों को इस भव्य अधिवेशन के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा, “किसी भी राष्ट्र का उत्थान तभी संभव है, जब उसकी युवा पीढ़ी ज्ञान, तकनीक और निडरता से संपन्न हो। आज का युवा न केवल वर्तमान का ध्वजवाहक है, बल्कि भविष्य का आधारस्तंभ भी है। यह एक आंदोलन है, एक मिशन है और इसी महत्वपूर्ण परिस्थिति में अभाविप उभरकर सामने आती है। युवा का संकल्प ही राष्ट्र का स्वरूप गढ़ता है।
उन्होंने कहा कि अभाविप ने हमेशा भारत की राष्ट्रीय नीतियों को संरक्षित किया है। उसका मार्गदर्शक सिद्धांत ‘चरैवेति-चरैवेति’ उसे निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। आज विश्व कह रहा है कि भारत 21वीं सदी का नेतृत्व कर रहा है और हम कह रहे हैं कि हमारा समय आ गया है। भारत की 25 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या युवा है, यह हमारे लिए एक सांस्कृतिक वरदान है। जब युवा दृढ़ होकर खड़े होते हैं, तो इतिहास की दिशा बदल जाती है। आप वही पीढ़ी हैं, जो भारत का भविष्य लिखेंगी।
उन्होंने बताया कि हमारे यहां विज्ञान और अध्यात्म साथ-साथ चलते हैं, ज्ञान, संस्कार और सेवा के आधार पर। चंद्रयान-3 के माध्यम से दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला राष्ट्र बना और ऐसे अनेक मिशनों में हम विश्व को राह दिखा रहे हैं। आज अंतरिक्ष में भी भारत स्पष्ट कह रहा है कि अब हमारा समय है। भारत के युवाओं से उत्कृष्टता, नेतृत्व और चरित्रवान आचरण की अपेक्षा है, जो अभाविप कार्यकर्ताओं को प्रमुखता से सिखाया जाता है। बिना भय के नवाचार करना ही आपका धर्म है। हमें प्रतिदिन स्वयं से यह प्रश्न करना चाहिए कि हम राष्ट्र के लिए और उसकी एकता बनाए रखने के लिए क्या कर रहे हैं? भारत एक है, और इसे एक रूप में बनाए रखना युवाओं की जिम्मेदारी है। एबीवीपी ने यह सिद्ध किया है कि सच्चा नेतृत्व सेवा में निहित होता है। जब हर हाथ में हुनर होगा, हर मन में विश्वास होगा और हर दिल में भारत होगा, तब हम वास्तविकता में विकसित भारत को प्राप्त करेंगे।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) रघुराज किशोर तिवारी ने अधिवेशन में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा, “अभाविप विश्व का सबसे बड़ा विद्यार्थी संगठन है, यह हमारे लिए गर्व की बात है। भारत में युवाओं को कर्तव्यपथ पर ले जाने में शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। आज अभाविप की स्वीकार्यता समाज में अपनी विशिष्ट कार्यपद्धति के चलते बड़ी है, यह हर्ष का विषय है। आज की युवा पीढ़ी के समक्ष हम रोल मॉडल बनकर उभरे हैं, और अभाविप के कार्यकर्ता इस क्रम में निरंतर आगे बढ़ते जाएंगे।”
अभाविप के पुनर्निर्वाचित महामंत्री वीरेंद्र सोलंकी ने कहा, “भारतीय एकात्मकता के लिए अभाविप कार्यकर्ता निरंतर प्रयास कर रहे हैं। आज 77 वर्षों में अभाविप बहुआयामी वटवृक्ष का रूप ले चुकी है। यह यात्रा इसके पंजीकरण 1949 से बहुत पहले उन अमर बलिदानियों के ध्येय से शुरू हुई थी जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को बलिदान कर दिया था।
उन्होंने कहा कि स्थापना के बाद अभाविप के कार्यकर्ताओं ने समाज को विभिन्न अभियानों और कार्यक्रमों के माध्यम से सकारात्मक दिशा देने का काम किया है। आज अभाविप का इतना वृहद स्वरूप हो चुका है कि समाज एवं शिक्षा के सभी विषयों पर अपने आयामों और गतिविधियों के माध्यम से कार्य हो रहा है। आज केवल देश के अंदर ही नहीं अपितु भारत से बाहर पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों के बीच भी हम अपने आयाम के माध्यम से 'राष्ट्र प्रथम' के भाव को और मजबूत कर रहे हैं। आज यहां उपस्थित प्रतिनिधियों से मैं यही आह्वान करता हूं कि इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन से सीखकर आप अपने कार्यक्षेत्र में जाएं और 'राष्ट्र प्रथम' के भाव को और दृढ़ करने तथा छात्र शक्ति को और गतिमान बनाने का कार्य करें।”
इस अवसर पर अभाविप के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) रघुराज किशोर तिवारी, पुनर्निर्वाचित राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी, अभाविप की राष्ट्रीय मंत्री क्षमा शर्मा, अभाविप राष्ट्रीय अधिवेशन की स्वागत समिति अध्यक्ष एवं ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला, स्वागत समिति महामंत्री एवं उत्तराखंड जलागम परिषद के उपाध्यक्ष रमेश गाड़िया, उत्तराखंड अभाविप प्रांत अध्यक्ष डॉ. जेपी भट्ट एवं उत्तराखंड अभाविप प्रांत मंत्री ऋषभ रावत मंच पर उपस्थित रहे।