क्या 'रेयर अर्थ' का नया युद्धक्षेत्र भारत के लिए अवसर है?

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क्या 'रेयर अर्थ' का नया युद्धक्षेत्र भारत के लिए अवसर है?

सारांश

क्या भारत के लिए 'रेयर अर्थ' का नया युद्धक्षेत्र अवसर लेकर आया है? डोनाल्ड ट्रंप की गलतियों और चीन की सख्त नीतियों ने भारत को एक सुनहरा मौका प्रदान किया है। यदि भारत समय पर सही कदम उठाता है, तो यह आर्थिक और वैश्विक लाभ दोनों प्राप्त कर सकता है। जानें इस पर विस्तार से।

Key Takeaways

  • भारत के पास रेयर अर्थ मिनरल्स की खदानें हैं।
  • चीन की आपूर्ति पर निर्भरता जोखिम है।
  • सही समय पर निवेश जरूरी है।
  • ट्रंप की गलती भारत के लिए अवसर है।
  • भारत को प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ानी चाहिए।

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। डोनाल्ड ट्रंप की गलती और चीन की कड़ी नीतियों ने भारत को रेयर अर्थ्स में एक अद्वितीय अवसर प्रदान किया है। भले ही अमेरिका ने अपनी रणनीति में यू-टर्न लिया हो, भारत अब इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकता है। यह केवल खनन का खेल नहीं, बल्कि रणनीति, निवेश और प्रौद्योगिकी का है। यदि भारत समय पर सही निर्णय लेता है, तो इसे आर्थिक और वैश्विक लाभ मिल सकते हैं।

जब 2018 में ट्रंप ने चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध की शुरुआत की, तो उन्होंने लगभग हर चीज पर टैरिफ बढ़ा दिए। लेकिन एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में उनकी चूक रेयर अर्थ एलिमेंट्स थी, जो अमेरिका की उच्च तकनीकी उद्योग की आधारशिला है। मोबाइल, इलेक्ट्रिक कार, एमआरआई मशीन, मिसाइल और अन्य आधुनिक उपकरण इन धातुओं के बिना कार्य नहीं कर सकते। ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाए, लेकिन यह नहीं देखा कि अमेरिका की आवश्यक तकनीकों के लिए जरूरी रेयर अर्थ मिनरल्स का अधिकांश हिस्सा चीन से आता है।

चीन ने दशकों पहले ही रेयर अर्थ मिनरल्स की खदानों और प्रसंस्करण पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया था। ट्रंप ने सोचा कि टैरिफ युद्ध से अमेरिका जीत जाएगा, लेकिन वास्तविक शक्ति चीन के पास थी—तकनीक और आपूर्ति श्रृंखला पर नियंत्रण। टैरिफ बढ़ने के बावजूद, आवश्यक धातुएं चीन से ही आती रहीं, जिससे अमेरिकी कंपनियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा।

2025 में 'मागा' का नारा लगाते हुए, ट्रंप ने एक बार फिर चीन को निशाना बनाया, जिससे दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापारिक तनाव फिर बड़का। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी है, जिसका उद्देश्य बीजिंग द्वारा रेयर अर्थ मिनरल्स के निर्यात पर लगाए गए सख्त प्रतिबंधों के जवाब में आया।

ट्रंप ने 10 अक्टूबर को ट्रुथ सोशल पोस्ट में कहा कि 1 नवंबर से 100 प्रतिशत टैरिफ लागू होंगे, जो मौजूदा 30 प्रतिशत टैरिफ के अतिरिक्त होंगे।

अप्रैल 2025 में ट्रंप ने चीनी सामानों पर 145 प्रतिशत टैरिफ लगाए थे, जिसके जवाब में चीन ने 125 प्रतिशत टैरिफ लगाए। मई में दोनों ने इन्हें घटाकर 30 प्रतिशत (अमेरिका) और 10 प्रतिशत (चीन) किया, फिर अगस्त में 90-दिन का समझौता किया।

जून 2025 में लंदन में बातचीत के बाद रेयर अर्थ मिनरल्स की सप्लाई फिर शुरू हुई, लेकिन अब नई पाबंदियां लागू हो गई हैं। ट्रंप ने कहा कि वह दक्षिण कोरिया में एशिया-प्रशांत शिखर सम्मेलन के दौरान शी जिनपिंग से मिलने का "कोई कारण नहीं देखते।" लेकिन इसके बाद अपने पुराने आचरण के अनुसार ट्रंप ने फिर से यू-टर्न लिया। रविवार को अपने रुख को नरम करते हुए ट्रंप ने कहा कि शी के साथ "अच्छे संबंध" हैं और सौदा हो जाएगा। यह एक बार फिर से ट्रंप का क्लासिक "यू-टर्न" लगा। तरीका वही- पहले धमकी, फिर बातचीत।

ट्रंप के इस यू-टर्न में भारत के लिए एक बड़ा अवसर उभर कर सामने आया है। वास्तव में, भारत में रेयर अर्थ मिनरल्स की अच्छी खदानें मौजूद हैं, लेकिन प्रोसेसिंग क्षमता सीमित है। ट्रंप की गलती और चीन की आपूर्ति पर नियंत्रण ने दुनिया को वैकल्पिक स्रोतों की खोज के लिए मजबूर कर दिया है। अमेरिका और यूरोप अब चीन के अलावा विश्वसनीय सप्लायर खोजने में जुट गए हैं, और भारत इसके लिए वैकल्पिक सप्लायर की भूमिका आसानी से निभा सकता है।

भारत सरकार ने इस अवसर को भांपते हुए निवेश बढ़ाने और रेयर अर्थ मिनरल्स प्रोसेसिंग की क्षमता बढ़ाने के लिए योजनाएं तेज कर दी हैं। जापान और दक्षिण कोरिया जैसे तकनीकी संपन्न देश भारत में फाउंड्री और रिफाइनरी में साझेदारी की संभावना देख रहे हैं। इसका मतलब यह है कि भले ही ट्रंप ने अपनी नीति में यू-टर्न लिया हो, लेकिन भारत के लिए यह खेल अब शुरू हो चुका है।

भारत के लिए फायदा केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक लाभ का भी है। यदि भारत सही समय पर खदानों और प्रोसेसिंग पर ध्यान देगा, तो वह वैश्विक उच्च तकनीकी आपूर्ति श्रृंखला में स्थायी भागीदार बन सकता है। ट्रंप की गलती ने दुनिया को चेताया है कि रेयर अर्थ मिनरल्स किसी देश की प्रौद्योगिकी शक्ति का दिल हैं और चीन पर पूरी तरह निर्भर रहना जोखिम से कम नहीं है।

हालांकि, भारत नफे में है, लेकिन नुकसान का चांस भी मौजूद है। हमारे पास खदानें हैं, लेकिन प्रोसेसिंग और मैग्नेट निर्माण में विशेषज्ञता अभी सीमित है। इसलिए निवेश, टेक पार्टनरशिप और रिसाइक्लिंग जैसे कदम जल्द उठाने होंगे। यदि भारत यह कार्य समय पर कर लेता है, तो वह न केवल वैश्विक मांग को पूरा करेगा, बल्कि रणनीतिक रूप से चीन पर दबाव भी बना सकता है।

Point of View

तो न केवल हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि हम वैश्विक तकनीकी आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
NationPress
16/10/2025

Frequently Asked Questions

रेयर अर्थ मिनरल्स क्या हैं?
रेयर अर्थ मिनरल्स दुर्लभ धातुएं हैं जो उच्च तकनीकी उत्पादों के लिए आवश्यक होती हैं।
भारत में रेयर अर्थ मिनरल्स की खदानें कहाँ हैं?
भारत के कई राज्यों में रेयर अर्थ मिनरल्स की खदानें हैं, लेकिन प्रोसेसिंग क्षमता सीमित है।
भारत को इस क्षेत्र में क्या करना चाहिए?
भारत को निवेश बढ़ाने और प्रोसेसिंग क्षमता को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
चीन से निर्भरता क्यों एक जोखिम है?
चीन पर निर्भरता तकनीकी आपूर्ति श्रृंखला में अस्थिरता पैदा कर सकती है।
क्या ट्रंप की नीतियों का भारत पर असर पड़ता है?
हां, ट्रंप की नीतियों का भारत की अर्थव्यवस्था और रणनीति पर बड़ा प्रभाव पड़ता है।