क्या अनिल कुंबले की उपलब्धियाँ उन्हें शेन वॉर्न और मुरलीधरन से अलग करती हैं?

सारांश
Key Takeaways
- कुंबले ने एक पारी में 10 विकेट लिए।
- कुंबले ने नाबाद 110 रन बनाए।
- कुंबले ने भारतीय टेस्ट टीम की कप्तानी की।
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। शेन वॉर्न, मुथैया मुरलीधरन और अनिल कुंबले का नाम क्रिकेट इतिहास के सबसे महान स्पिनरों में लिया जाता है। तीनों लगभग एक ही समय में खेलते रहे और अपनी-अपनी टीमों के लिए प्रमुख मैच विनर बने। क्रिकेट इतिहास के पांच सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में इन तीनों का नाम शामिल है। शेन वॉर्न और कुंबले लेग स्पिनर रहे, जबकि मुरलीधरन ऑफ स्पिनर थे। तीनों के पास अद्वितीय गुण थे। हालांकि, कुंबले ने अपने करियर में तीन ऐसी उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जो उन्हें वॉर्न और मुरलीधरन से भिन्न बनाती हैं।
अनिल कुंबले ने 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ दिल्ली में खेले गए टेस्ट में एक पारी में सभी 10 विकेट लिए थे। शेन वॉर्न और मुरलीधरन अपने पूरे करियर में ऐसा करने में असफल रहे।
कुंबले ने 2007 में इंग्लैंड के द ओवल में 8वें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए नाबाद 110 रन बनाए। वॉर्न और मुरलीधरन ने अपने करियर में कभी शतक नहीं बनाया।
किसी भी क्रिकेटर के लिए टेस्ट टीम की कप्तानी करना एक सपना होता है। अनिल कुंबले ने 2007 से 2008 के बीच 14 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी की। शेन वॉर्न और मुरलीधरन को यह अवसर नहीं मिला। वॉर्न ने कुछ वनडे में कप्तानी की, लेकिन टेस्ट में उन्हें मौका नहीं मिला। वहीं मुरलीधरन को श्रीलंका की कप्तानी का मौका नहीं मिला।
ये तीन प्रदर्शित करने वाली उपलब्धियाँ अनिल कुंबले की क्रिकेट यात्रा को वॉर्न और मुरलीधरन से अलग करती हैं।
17 अक्टूबर 1970बेंगलुरु, कर्नाटक में जन्मे कुंबले ने 20 साल की उम्र में भारतीय टीम में पदार्पण किया। कुंबले भारत के सबसे सफल गेंदबाजों में से एक हैं। उन्होंने 132 टेस्ट में 619 और 271 वनडे में 337 विकेट लिए हैं। क्रिकेट इतिहास के सफलतम गेंदबाजों में कुंबले का नाम चौथे स्थान पर है। टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में भी कुंबले चौथे स्थान पर हैं।