क्या भारत के पहले हॉलीवुड स्टार साबू की बायोपिक जल्द ही बड़े पर्दे पर आएगी?

सारांश
Key Takeaways
- साबू की कहानी संघर्ष और सफलता की प्रेरणा देती है।
- उन्होंने हॉलीवुड में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
- उनकी जीवन यात्रा संस्कृतियों के बीच सेतु बन गई।
- एलिफेंट बॉय उनकी पहली प्रमुख फिल्म थी।
- साबू को हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम में जगह मिली।
मुंबई, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत के पहले हॉलीवुड अभिनेता साबू की अद्भुत कहानी अब जल्द ही बड़े पर्दे पर देखने को मिलेगी।
लेखिका देबलीना मजूमदार की प्रशंसित जीवनी 'साबू: द रिमार्केबल स्टोरी ऑफ इंडिया के फर्स्ट एक्टर इन हॉलीवुड' के फिल्म और टेलीविजन अधिकार ऑलमाइटी मोशन पिक्चर द्वारा हासिल कर लिए गए हैं।
यह जीवनी मैसूर के लड़के साबू दस्तगीर की वास्तविक कहानी पर आधारित है, जो हाथियों के अस्तबल से निकलकर एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म सितारे के रूप में उभरे।
ऑलमाइटी मोशन पिक्चर्स की निर्माता और अभिनेत्री प्रभलीन संधू ने कहा कि साबू की कहानी को सच्चाई के साथ प्रस्तुत करना बेहद महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, "साबू की कहानी को भव्यता और सच्चाई के साथ दर्शकों के सामने लाना चाहिए। वह सिर्फ भारत के पहले वैश्विक सितारे नहीं थे, बल्कि वे महाद्वीपों, संस्कृतियों और युगों के बीच एक पुल थे। उनकी कहानी को पर्दे पर लाना एक विरासत को संजोना है जिसे दुनिया कभी नहीं भूलेगी।"
हाथियों के महत के पुत्र साबू की यात्रा वास्तव में असाधारण थी। ब्रिटिश भारत से लेकर हॉलीवुड तक उनकी यात्रा में उन्होंने कई बाधाओं को पार किया और एक बड़ा नाम कमाया। उनका सफर महाद्वीपों, संस्कृतियों और युगों को जोड़ता है। उन्हें हॉलीवुड में 'एलिफेंट बॉय' फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने का बड़ा ब्रेक मिला, जो 1937 में रिलीज हुई थी।
साबू का जन्म 1924 में मैसूर के करपुरा में हुआ, जो उस समय ब्रिटिश भारत की रियासत थी। उन्होंने 1937 में रुयार्ड किपलिंग की 'द जंगल बुक' पर आधारित फिल्म 'एलिफेंट बॉय' से अपने अभिनय की शुरुआत की थी। इस फिल्म ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
'एलिफेंट बॉय' के बाद, साबू ने कई हॉलीवुड क्लासिक फिल्मों में काम किया, जैसे 'द थीफ ऑफ बगदाद' (1940), 'जंगल बुक' (1942), 'अरेबियन नाइट्स' (1942) और 'ब्लैक नार्सिसस' (1947)। उनकी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार सफलता प्राप्त की और वे पूरब और पश्चिम के बीच एक सांस्कृतिक सेतु बन गए।
सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए, उन्हें 1960 में हॉलीवुड 'वॉक ऑफ फेम' में जगह मिली। हालांकि, दुःख की बात यह है कि 1963 में 39 वर्ष की आयु में उनका अचानक निधन हो गया।