क्या भारत की सौर ऊर्जा क्षमता वित्त वर्ष 2028 तक 216 गीगावाट तक पहुंचेगी?
सारांश
Key Takeaways
- भारत की सौर ऊर्जा क्षमता वित्त वर्ष 2028 तक 216 गीगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है।
- सरकारी पहलों ने घरेलू सौर मॉड्यूल क्षमता को 100 गीगावाट तक बढ़ाने में मदद की है।
- सौर पीवी उत्पादों का निर्यात 10 गुना से अधिक बढ़ा है।
- पीएलआई योजना सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से वृद्धि का कारण है।
- भारत को 36-47 करोड़ सौर पैनलों की आवश्यकता होगी।
नई दिल्ली, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के तहत मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि वित्त वर्ष 2028 तक भारत की सौर ऊर्जा क्षमता लगभग 216 गीगावाट तक पहुंच जाएगी, जिससे 3.5 बिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। यह जानकारी सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में दी गई।
रेटिंग एजेंसी केयरएज रेटिंग्स की सहायक कंपनी केयरएज एडवाइजरी की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि पीएलआई स्कीम के कारण सौर ऊर्जा क्षमता में तेजी से वृद्धि हो रही है। साथ ही, 1 मेगावाट सौर ऊर्जा के लिए 1,700-2,200 पैनल (500 वॉट पीक पर) स्थापित किए जाने से कार्यक्षमता में सुधार हो रहा है।
केयरएज एडवायजरी का कहना है कि भारत का स्थापित सौर आधार सितंबर 2025 तक बढ़कर 127.3 गीगावाट हो जाएगा, जिसने कुल स्थापित क्षमता में 25 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया है। स्थापित सौर आधार वित्त वर्ष 2015 में 3.9 गीगावाट था।
इसके अलावा, भारत के सोलर पीवी उत्पादों का निर्यात वित्त वर्ष 2019 से 2025 के बीच 10 गुना से अधिक बढ़ गया है, जिसमें अमेरिका को एक महत्वपूर्ण हिस्सा निर्यात किया जा रहा है।
सरकार की प्रमुख पहलों जैसे पीएलआई, बेसिक कस्टम्स ड्यूटी (बीसीडी) और एप्रूव्ड लिस्ट ऑफ मॉडल्स एंड मैन्युफैक्चरर्स (एएलएमएम) ने घरेलू सौर मॉड्यूल क्षमता को 100 गीगावाट तक बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे भारत वैश्विक स्तर पर चौथे स्थान पर पहुंच गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की मॉड्यूल निर्माण क्षमता वित्त वर्ष 2028 के अंत तक 100 जीडब्ल्यूपी की अतिरिक्त क्षमता जोड़ सकती है।
इस अवधि में घरेलू सेल निर्माण क्षमता भी 100 जीडब्ल्यूपी तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें कैपेक्स 55,000 करोड़ रुपये से अधिक होगा।
केयरएज एडवायजरी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2028 तक भारत के लिए लक्षित 215-220 गीगावाट सौर क्षमता के लिए लगभग 36-47 करोड़ सौर पैनलों की आवश्यकता होगी।