क्या भारत वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा?

सारांश
Key Takeaways
- भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
- वैश्विक व्यापार में भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व परिवर्तन।
- भारत को शीर्ष पांच शिपबिल्डिंग देशों में शामिल होने के लिए रणनीति की आवश्यकता है।
- निजी क्रेडिट उद्योग विकास के लिए तैयार है।
नई दिल्ली, १७ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद, भारत की विकास दर मजबूत बनी हुई है और यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। एसएंडपी ग्लोबल की बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर ६.५ प्रतिशत रहने का अनुमान है।
यह सकारात्मक दृष्टिकोण देश के घरेलू बफर और बाहरी चुनौतियों के परस्पर प्रभाव से उत्पन्न हो रहा है।
एसएंडपी ग्लोबल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत की विकास प्रदर्शन यह दर्शाता है कि पिछले बाहरी झटकों ने अल्पकालिक चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं, लेकिन इनसे देश की दीर्घकालिक विकास गति प्रभावित नहीं हुई है।"
इसके अलावा, भारत ने आर्थिक सुधारों, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और प्रक्रियागत सुधारों के माध्यम से विकसित देशों के मुकाबले अपनी विकास क्षमता को बढ़ाने में सफलता प्राप्त की है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत वैश्विक व्यापार में अधिक भागीदारी को बढ़ावा देगा, जिससे आर्थिक विकास, पूंजी आकर्षण और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।
देश की अर्थव्यवस्था तेजी से इंटीग्रेट हो रही है और इसमें सुधार की आवश्यकता है।
पारंपरिक ऋणदाताओं द्वारा छोड़े गए वित्तीय गैप और घरेलू दिवालियापन ढांचे की मजबूती से निजी क्रेडिट उद्योग भी विकास के लिए तैयार है।
रिपोर्ट में अगले १० वर्षों में वैश्विक शिपबिल्डिंग मार्केट में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने की संभावना पर भी प्रकाश डाला गया है।
रिपोर्ट में कहा गया, "हालांकि देश की महत्वाकांक्षाएं स्पष्ट हैं, लेकिन भारत को २०४७ तक टॉप पांच शिपबिल्डिंग देशों में शामिल होने के लिए एक स्पष्ट रणनीति की आवश्यकता है, जो आज के १ प्रतिशत से भी कम वैश्विक बाजार हिस्सेदारी से एक चुनौतीपूर्ण यात्रा है।"
भारत का डिजिटल परिदृश्य अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जो डेटा सेंटर जैसे डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश को बढ़ावा दे रहा है और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, अगले दो वर्षों में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत डेटा सेंटर की बिजली मांग के मामले में जापान और ऑस्ट्रेलिया को पीछे छोड़ते हुए दूसरा सबसे बड़ा मार्केट बन जाएगा।