क्या भारत ने दिखाया है कि कैसे पैमाना और गति एक साथ चल सकते हैं?

Click to start listening
क्या भारत ने दिखाया है कि कैसे पैमाना और गति एक साथ चल सकते हैं?

सारांश

रियो डी जेनेरियो में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत की वित्तीय रणनीतियों और सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए योगदान को उजागर किया। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर एक प्रभावशाली उभरती अर्थव्यवस्था है और इसके विकास में तेजी लाना आवश्यक है। जानिए इस सेमिनार में उन्होंने क्या कहा।

Key Takeaways

  • भारत का वैश्विक स्तर पर सस्टेनेबल डेवलपमेंट में योगदान।
  • वित्त मंत्री का भारत की अनोखी स्थिति पर जोर।
  • जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने हेतु नीतियाँ विकसित करना।
  • वित्तीय समावेशन के लिए परिवर्तनकारी नीतियाँ।
  • ग्रीन फाइनेंस में भारत की पहलें।

रियो डी जेनेरियो, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह स्पष्ट किया कि भारत एक प्रमुख उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में, वैश्विक स्तर पर प्रभाव डालने वाले देश के रूप में अपनी दोहरी भूमिका निभाते हुए, न केवल अपनी भलाई बल्कि उन सभी के लिए जो समान आकांक्षाएं रखते हैं, परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करने में मजबूत स्थिति में है।

आधिकारिक यात्रा के दौरान 'ग्लोबल साउथ के लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट के वित्तपोषण की चुनौतियाँ' विषय पर गवर्नर्स सेमिनार को संबोधित करते हुए, सीतारमण ने कहा कि ग्लोबल साउथ में सस्टेनेबल डेवलपमेंट को वित्तपोषित करना केवल धन जुटाने का मामला नहीं है, बल्कि निष्पक्षता, विश्वास, और नेतृत्व की स्थापना से भी संबंधित है।

उन्होंने कहा, "भारत के लिए, लाखों लोगों को आवास, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, और आजीविका तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए विकास में तेजी लाना आवश्यक है। इसके साथ ही, जलवायु परिवर्तन से संबंधित जोखिम भी बढ़ रहे हैं जैसे कि गर्मी की लहरें, जल तनाव, और अत्यधिक मौसम की घटनाएँ।"

भारत 'नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन' और प्रांत-स्तरीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं जैसी पहलों के माध्यम से इन चुनौतियों को इंटीग्रेट करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है।

वित्त मंत्री ने कहा, "वास्तविक चुनौती विकास और सस्टेनेबिलिटी के बीच चयन नहीं है, बल्कि खासकर उभरते बाजारों और विकासशील देशों (ईएमडीई) के साथ साझेदारी में ऐसी नीतियाँ विकसित करना है जो समावेशी विकास को बढ़ावा दें और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को मजबूत करें।"

सीतारमण ने आगे कहा, "जैसे ही हम 2030 के एजेंडे की दिशा में प्रयास कर रहे हैं, कोरोना महामारी के बाद विकासशील देशों में सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (एसडीजी) के लिए वित्तपोषण का अंतर सालाना 4.2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो गया है, जो महत्वाकांक्षा और वास्तविकता के बीच बढ़ते अंतर को दर्शाता है।"

उन्होंने कहा, "भारत एक अनोखे चौराहे पर खड़ा है। एक अरब लोगों की आकांक्षाएं तेजी से बदलते ग्रह की अनिवार्यताओं के साथ मिलती हैं। भारत ने दिखाया है कि कैसे पैमाना और गति एक साथ चल सकते हैं।"

यूपीआई, आधार और जन धन जैसी परिवर्तनकारी नीतियों के माध्यम से, भारत ने वित्तीय समावेशन को अंतिम मील तक पहुंचाया है।

वित्त मंत्री ने कहा, "गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान, नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन में तेजी लाने के लिए 220 गीगावाट से अधिक रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता की स्थापना जैसे कार्यक्रमों ने हमारी नीति इकोसिस्टम को मजबूती प्रदान की है।"

हाल के वर्षों में, भारत ने सॉवरेन ग्रीन बॉंड, ईएसजी डिस्क्लोजर मेनडेट और जलवायु वित्त के लिए प्रस्तावित टैक्सोनॉमी जैसी पहलों के माध्यम से ग्रीन फाइनेंस के लिए एक मजबूत आधार स्थापित किया है।

Point of View

जहाँ उसकी विकासात्मक आकांक्षाएँ वैश्विक आवश्यकताओं से मेल खाती हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जिस प्रकार से सस्टेनेबल डेवलपमेंट की बात की है, वह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भारत केवल अपने लिए नहीं, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी परिवर्तन का नेतृत्व करने में सक्षम है।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

भारत की वित्त मंत्री ने किस विषय पर सेमिनार को संबोधित किया?
भारत की वित्त मंत्री ने 'ग्लोबल साउथ के लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट के वित्तपोषण की चुनौतियाँ' विषय पर सेमिनार को संबोधित किया।
भारत ने किस प्रकार जलवायु परिवर्तन से संबंधित चुनौतियों का सामना किया है?
भारत ने 'नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन' और प्रांत-स्तरीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं जैसी पहलों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से संबंधित चुनौतियों का सामना किया है।