क्या भारत मंडपम में लोक कलाकारों की प्रस्तुति ने छत्तीसगढ़ को गूंजाया?
सारांश
Key Takeaways
- भारत मंडपम में छत्तीसगढ़ की संस्कृति का अद्भुत प्रदर्शन।
- मुख्यमंत्री ने सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर पहुँचाने का किया उल्लेख।
- लोक कलाकारों ने प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
- छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपराओं का जश्न मनाया गया।
- सभी नागरिकों को छत्तीसगढ़ आने का आमंत्रण दिया गया।
नई दिल्ली, २४ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के भारत मंडपम में सोमवार को छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और परंपराओं का एक अद्भुत मिलन देखने को मिला। ४४वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के अंतर्गत आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य दिवस पर एम्फी थिएटर में हुए सांस्कृतिक संध्या ने सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने अपनी लोक-नृत्य एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से वातावरण में उत्साह और ऊर्जा का संचार किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ छत्तीसगढ़ के उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन, रायपुर लोकसभा सांसद बृजमोहन अग्रवाल, जांजगीर चांपा लोकसभा सांसद कमलेश जांगड़े, और कांकेर से लोकसभा सांसद भोजराज नाग शामिल रहे। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई। इससे पहले मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ पवेलियन का निरीक्षण किया और विभिन्न स्टॉलों में प्रदर्शित कला, हस्तशिल्प और उत्पादों की जानकारी ली। उन्होंने कलाकारों और उद्यमियों की सराहना करते हुए उन्हें प्रोत्साहित किया।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि देश की राजधानी में 'छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया' की गूंज सुनकर हर छत्तीसगढ़वासी गर्व महसूस करता है। उन्होंने कहा कि रायपुर में सफल राज्योत्सव के बाद दिल्ली में राज्य दिवस मनाना गर्व का क्षण है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रायपुर में देश के पहले डिजिटल जनजातीय संग्रहालय के लोकार्पण का उल्लेख करते हुए इसे छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर ले जाने वाला ऐतिहासिक कदम बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ कला, संस्कृति और परंपराओं की समृद्ध भूमि है, जहां तीज-त्योहार, लोकनृत्य और पारंपरिक कलाएं आज भी उसी उत्साह से जीवित हैं। उन्होंने मिलेट्स उत्पादन, स्थानीय हस्तशिल्प और जनजातीय परंपराओं को राज्य की अनंत संभावनाओं का प्रतीक बताया और कहा कि सरकार कलाकारों के संरक्षण, आर्थिक सहयोग तथा बस्तर पंडुम जैसे आयोजनों के माध्यम से संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने सभी नागरिकों को छत्तीसगढ़ आने और इसकी सादगी, सांस्कृतिक संपन्नता और प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करने का आमंत्रण भी दिया।
सांस्कृतिक संध्या में कलाकारों ने छत्तीसगढ़ की पारंपरिक लोक-कलाओं की एक से बढ़कर एक झलक पेश की। कार्यक्रम में गौरा-गौरी, भोजली, राउत नाचा, सुआ नृत्य, पंथी और करमा जैसे पारंपरिक नृत्यों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुआ नृत्य की भावपूर्ण गीतमय प्रस्तुति, राउत नाचा की जोशीली लय, पंथी की आध्यात्मिक छटा और करमा की मनभावन लयकारी ने छत्तीसगढ़ की विविध लोक परंपराओं को सजीव कर दिया। पूरे कार्यक्रम के दौरान दर्शक तालियों से कलाकारों का उत्साह बढ़ाते रहे।
इस अवसर पर खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राकेश पाण्डेय, उद्योग विभाग के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल, पर्यटन विकास बोर्ड के अध्यक्ष नीलू शर्मा, छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा, मुख्य सचिव विकास शील, विधायक संपत अग्रवाल, प्रबोध मिंज, पर्यटन, संस्कृति एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव रोहित यादव, सीएसआईडीसी के महाप्रबंधक विश्वेश कुमार, संस्कृति एवं राजभाषा विभाग के संचालक विवेक आचार्य, खादी ग्रामोद्योग सचिव श्याम धावड़े, इन्वेस्टमेंट कमिश्नर रितु सैन, आवासीय आयुक्त श्रुति सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।