क्या भारत मंडपम में वैश्विक विशेषज्ञों का जुटान, नवाचार और तैयारी पर जोर दिया गया?
सारांश
Key Takeaways
- ग्लोबल हेल्थ सुरक्षा में भारत की भूमिका को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम।
- वन हेल्थ फ्रेमवर्क के तहत मानव, पशु और पर्यावरण के स्वास्थ्य को जोड़ा गया है।
- वैश्विक विशेषज्ञों के विचार और नवाचारों का आदान-प्रदान।
- इसरो और अन्य तकनीकी संस्थानों की भूमिका का महत्व।
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर।
नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत मंडपम कन्वेंशन सेंटर में गुरुवार को नेशनल वन हेल्थ मिशन असेंबली 2025 का उद्घाटन किया गया। इस कार्यक्रम में केंद्र सरकार, विभिन्न राज्यों, वैश्विक संगठनों, वैज्ञानिक संस्थानों और नीति-निर्माताओं के वरिष्ठ नेता शामिल हुए। 'ज्ञान को व्यवहार में लाना- एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य, एक भविष्य' थीम पर आधारित यह दो दिवसीय कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकासशील भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए मानव, पशु, पर्यावरण, जलवायु और तकनीक के समन्वित स्वास्थ्य सुरक्षा दृष्टिकोण को मजबूत करने पर केंद्रित है।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री का विशेष संदेश साझा किया गया, जिसमें वन हेल्थ फ्रेमवर्क को मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई गई। उद्घाटन सत्र में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद के पॉल, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. अजय के सूद सहित कई मंत्रालयों और वैज्ञानिक संस्थानों के सचिव उपस्थित रहे।
वरिष्ठ अधिकारियों में स्वास्थ्य सचिव पुन्या सलिला श्रीवास्तव, डीएचआर सचिव एवं डीजी-आईसीएमआर डॉ. राजीव बघेल, पशुपालन एवं डेयरी सचिव नरेश पाल गंगवार, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव एवं डीजी-आईसीएआर डॉ. मांगी लाल जाट, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव तन्मय कुमार, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश एस गोखले, इसरो व स्पेस कमीशन के चेयरमैन एवं स्पेस विभाग के सचिव डॉ. वी नारायणन, एनडीएमए के सचिव मनीष भारद्वाज और डीआरडीओ के चेयरमैन एवं रक्षा अनुसंधान सचिव डॉ. समीयर वी कमात शामिल रहे।
विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों ने मानव, पशु, पर्यावरण और कृषि स्वास्थ्य को जोड़ने वाली इस राष्ट्रीय पहल के प्रति अपने क्षेत्रों के योगदान और प्राथमिकताओं को प्रस्तुत किया।
स्वास्थ्य सचिव पुन्या सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मानव, पशु, पौधों और पर्यावरण, सभी के समेकित कल्याण पर आधारित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया है। पीएम-आयुष्मान स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तहत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वन हेल्थ की स्थापना हमारे निगरानी तंत्र को और मजबूत करेगी तथा बहु-प्रजातीय रोग नियंत्रण क्षमता को बढ़ाएगी।
आईसीएमआर के डीजी डॉ. राजीव बघेल ने कहा कि डीएचआर, वन हेल्थ मिशन का नोडल विभाग है और सभी स्तंभों, सर्विलांस, टेक्नोलॉजी, आउटब्रेक प्रतिक्रिया और मेडिकल काउंटरमेजर्स में योगदान देता है।
भारत की जैव-विविधता पर प्रकाश डालते हुए पर्यावरण मंत्रालय के सचिव तन्मय कुमार ने कहा कि मनुष्य, पशु और पारिस्थितिकी के बीच अंतःक्रियाओं की वैज्ञानिक निगरानी आवश्यक है। हमें केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि पूर्वानुमान की क्षमता विकसित करने की जरूरत है।
इसरो प्रमुख डॉ. वी नारायणन ने बताया कि अंतरिक्ष आधारित तकनीक टेलीमेडिसिन, जियोस्पेशल मैपिंग, पर्यावरणीय निगरानी और वन हेल्थ सिस्टम को मजबूती प्रदान कर रही है।
पशुपालन सचिव नरेश पाल गंगवार ने कहा कि भारत पशुधन और नेशनल डिजिटल लाइवस्टॉक मिशन पशु स्वास्थ्य प्रबंधन को आधुनिक बनाकर रोग पहचान और प्रतिक्रिया प्रणाली को और सशक्त कर रहे हैं।
आईसीएआर के डीजी डॉ. मांगी लाल जाट ने कृषि, पशुपालन और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के बीच गहरे संबंधों पर जोर देते हुए कहा कि आईसीएआर की संस्थाएं समेकित सर्विलांस और वैज्ञानिक क्षमता को लगातार मजबूत कर रही हैं।
जैव प्रौद्योगिकी सचिव डॉ. राजेश गोखले ने बताया कि बायोटेक्नोलॉजी, रियल-टाइम डेटा सिस्टम, स्केलेबल डायग्नोस्टिक्स और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के जरिए मिशन की तकनीकी रीढ़ का कार्य कर रही है।
एनडीएमए सचिव मनीष भारद्वाज ने कोविड-19 से मिले सबक और समुदाय-आधारित तैयारियों की आवश्यकता पर बल दिया।
डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीयर वी कमात ने कहा कि देश की जैव-सुरक्षा और सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डीआरडीओ उन्नत अनुसंधान और बायो-डिफेंस पर कार्य कर रहा है।
डब्ल्यूएचओ, एफएओ, विश्व बैंक, सीईपीआई, यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के वरिष्ठ विशेषज्ञों ने वैश्विक दृष्टिकोण साझा किए। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस ने वीडियो संदेश के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।
उद्घाटन के साथ ही बहु-क्षेत्रीय प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों, राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों, और राज्य विभागों के नवाचार, निगरानी प्रणालियां, डिजिटल टूल और तैयारियों के मॉडल प्रदर्शित किए गए। चर्चाओं में क्लाइमेट मॉडलिंग, जीनोमिक सिक्वेंसिंग और एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे उन्नत तकनीकी समाधानों की भूमिका पर विशेष जोर रहा।
दूसरे दिन तकनीकी सत्रों में तकनीक-सक्षम सर्विलांस, संयुक्त आउटब्रेक जांच, मेडिकल काउंटरमेजर्स, क्षमता निर्माण और समुदाय सहभागिता पर विस्तृत चर्चा होगी। कार्यक्रम के समापन पर सभी हितधारक अपने-अपने संकल्प साझा करेंगे और नेशनल वन हेल्थ मिशन के लिए एक समेकित राष्ट्रीय रोडमैप जारी होगा, जो भारत को स्वास्थ्य नवाचार और वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा में अग्रणी बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा।
नेशनल वन हेल्थ मिशन असेंबली 2025 का उद्देश्य मंत्रालयों, विभागों, अकादमिक संस्थानों और राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को एकजुट कर एक ऐसा मंच तैयार करना है, जहां युवा नवाचार, वैज्ञानिक अनुसंधान और बहु-क्षेत्रीय मॉडल भारत की स्वास्थ्य सुरक्षा, सतत विकास और जलवायु लचीलापन को नई गति प्रदान कर सकें।