क्या भारत डिफेंस इनोवेशन के सुनहरे दौर में है? - राजनाथ सिंह
सारांश
Key Takeaways
- भारत डिफेंस इनोवेशन के सुनहरे दौर में प्रवेश कर रहा है।
- राजनाथ सिंह ने नवाचार और स्वदेशीकरण पर जोर दिया।
- प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी महत्वपूर्ण है।
- डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में 50% योगदान का लक्ष्य।
- आईडेक्स चैलेंज ने स्टार्ट-अप्स को अवसर प्रदान किए।
नई दिल्ली, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में भारतीय नौसेना के स्वावलंबन सेमिनार के चौथे संस्करण में स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई, एकेडेमिया, उद्योग भागीदारों और वेंचर कैपिटलिस्ट्स को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत डिफेंस इनोवेशन के सुनहरे युग में प्रवेश कर रहा है, और इसकी बुनियाद हमारे इनोवेटर्स और युवा एंटरप्रेन्योर्स द्वारा रखी जा रही है। ये आर्थिक ताकत, स्ट्रेटेजिक सोच और तकनीकी उन्नति को जोड़ रहे हैं।
उन्होंने तेजी से बदलती दुनिया और लगातार बदलते जियोपॉलिटिकल माहौल में भारत को भविष्य के लिए तैयार रहने की आवश्यकता पर जोर दिया। भारत को रिएक्टिव नजरिया नहीं अपनाना चाहिए। उन्होंने इनोवेटर्स को नए समाधान लाने और देश को केवल खरीदार नहीं बल्कि एक बिल्डर, क्रिएटर और लीडर के रूप में उभरने के लिए प्रेरित किया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज देश में स्वदेशीकरण का एक बड़ा आंदोलन चल रहा है। यह केवल नीति के कारण नहीं है, बल्कि सभी स्टेकहोल्डर्स की मेहनत का परिणाम है। इसकी वजह से भारत एक इंपोर्टर से टेक्नोलॉजी एक्सपोर्टर बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि नौसेना के साथ हमारे इनोवेटर्स का योगदान भारत को एक समुद्री ताकत के रूप में उभरने में मदद कर रहा है।
राजनाथ सिंह ने रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में नए आयामों के उभरने पर विचार साझा करते हुए प्राइवेट सेक्टर से प्रॉफिट-प्लस दृष्टिकोण अपनाने और ऐसे प्लेटफॉर्म विकसित करने की अपील की, जो भारत पर विश्व के भरोसे का प्रतीक बनें। उन्होंने कहा कि प्रॉफिट प्लस दृष्टिकोण में मॉनिटर प्रॉफिट, नेशनलिज्म, ड्यूटी की भावना और स्ट्रेटेजिक जिम्मेदारी शामिल होनी चाहिए। हमारा लक्ष्य केवल आर्थिक गतिविधि तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे एक राष्ट्रीय मिशन माना जाना चाहिए। प्राइवेट उद्योग को अपनी भूमिका बढ़ानी चाहिए और राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए उत्पादन, तकनीक, डिजाइन और नवाचार में तेजी लानी चाहिए।
उन्होंने प्राइवेट सेक्टर से आने वाले वर्षों में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में अपने योगदान को ५० प्रतिशत या उससे अधिक करने की अपील की।
रक्षा मंत्री ने आयातित डिफेंस उपकरणों के रखरखाव, मरम्मत, ओवरहाल और स्पेयर पार्ट्स की दीर्घकालिक वित्तीय बोझ को कम करने के लिए आयात पर निर्भरता को कम करने और एक मजबूत और आत्मनिर्भर घरेलू सप्लाई चेन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि अगर हम घटकों और उप-प्रणालियों की स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत करते हैं तो हमारा स्वदेशी सामग्री तेजी से बढ़ेगा। इससे न केवल क्षमता बढ़ेगी, बल्कि लागत दक्षता, विश्वसनीयता और स्ट्रेटेजिक स्वतंत्रता भी सुनिश्चित होगी। यह तभी संभव है जब प्राइवेट सेक्टर, स्टार्ट-अप्स, आरएंडडी लैब्स और सरकारी संस्थाएं एक साझा दृष्टि के साथ आगे बढ़ें।
राजनाथ सिंह ने एक मजबूत डिफेंस इकोसिस्टम के लिए बेहतर सहयोग का समर्थन किया। उन्होंने प्राइवेट उद्योग से अगले बड़े प्लेटफॉर्म, डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी, या पाथ-ब्रेकिंग इनोवेशन की पहचान करने और सरकार को सूचित करने की अपील की। उन्होंने किसी भी चुनौती का मिलकर समाधान खोजने में सरकार और डिफेंस संस्थानों का पूरा समर्थन दिया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत बदल रहा है, डिफेंस सेक्टर बदल रहा है, और जियोपॉलिटिक्स भी बदल रही है। हमें भी अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। हमें बहुत तेजी से आगे बढ़ना होगा। यह पीछे हटने का नहीं, बल्कि आगे का रास्ता बनाने का समय है।
इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा कि हर नए संस्करण के साथ, स्वावलंबन का दायरा, पैमाना और भागीदारी बढ़ी है। पहले संस्करण में ८०० प्रतिभागियों से बढ़कर पिछले वर्ष यह ३,००० की संख्या तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि अब तक घोषित ५६५ आईडेक्स चैलेंज में से भारतीय नौसेना के पास ३५ प्रतिशत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और स्वावलंबन इसे हासिल करने में अहम भूमिका निभा रहा है।
नौसेना प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि आईडेक्स चैलेंज के जरिए स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई द्वारा बनाए गए उत्पादों ने न केवल नौसेना की क्षमताओं को मजबूत किया है, बल्कि सेना, वायुसेना, तटरक्षक बल और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों द्वारा उनकी सीधी खरीद के अवसरों का विस्तार किया है। यह एकीकृत संपूर्ण-रक्षा दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है।