क्या भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की गई?
सारांश
Key Takeaways
- भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा उपायों की समीक्षा की गई।
- ड्रोन और हाई-टेक उपकरणों का उपयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया।
- सीमा गश्त को मजबूत करने के लिए नई तकनीकों की तैनाती की जाएगी।
इंफाल, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। गृह मंत्रालय के सचिव (बॉर्डर मैनेजमेंट) डॉ. राजेंद्र कुमार, आईएएस ने शनिवार को मणिपुर के तेंगनौपाल जिले के महत्वपूर्ण शहर मोरेह का विस्तृत आधिकारिक दौरा किया। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत-म्यांमार सीमा पर वर्तमान सुरक्षा उपायों और चल रहे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की जमीनी स्तर पर समीक्षा करना था।
मोरेह भारत-म्यांमार सीमा का एक प्रमुख व्यापारिक और रणनीतिक केंद्र है, जहाँ से अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण लगाना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
दौरे के दौरान, डॉ. कुमार ने सीमा चौकियों और निगरानी स्थलों का निरीक्षण किया। उन्होंने असम राइफल्स के जवानों और अन्य सुरक्षा कर्मियों से संवाद किया, ऑपरेशनल चुनौतियों को समझा और फील्ड स्तर पर प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण फीडबैक लिया। सचिव ने संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण माहौल में तैनात सुरक्षा बलों के समर्पण और साहस की सराहना की।
असम राइफल्स, स्थानीय प्रशासन और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के साथ आयोजित उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक में, डॉ. कुमार ने सीमा गश्त को और मजबूत करने, रियल-टाइम इंटेलिजेंस शेयरिंग में सुधार करने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने एक मजबूत और स्मार्ट सीमा प्रबंधन ढांचे के निर्माण के लिए आधुनिक तकनीकों की त्वरित तैनाती की वकालत की। विशेष रूप से ड्रोन, उन्नत सेंसर सिस्टम और अन्य हाई-टेक निगरानी उपकरणों के इंटीग्रेशन को तेज करने की आवश्यकता बताई।
सचिव ने वैध सीमा पार व्यापार को सुविधाजनक बनाते हुए अवैध गतिविधियों जैसे तस्करी, घुसपैठ और उग्रवाद पर अंकुश लगाने की सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने सभी एजेंसियों से उच्च परिचालन तत्परता बनाए रखने, सक्रिय समन्वय बढ़ाने और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
भारत-म्यांमार सीमा की कुल लंबाई 1643 किलोमीटर है, जिसमें मणिपुर का हिस्सा लगभग 390 किलोमीटर है। हाल के वर्षों में म्यांमार में चल रहे संघर्ष के कारण सीमा पर चुनौतियाँ बढ़ी हैं। सरकार ने सीमा पर फेंसिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को प्राथमिकता दी है। मोरेह में पहले ही कुछ किलोमीटर फेंसिंग पूरी हो चुकी है, और आगे के प्रोजेक्ट्स तेजी से चल रहे हैं। यह दौरा सीमा सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।